Regional retailers want online prices
- January 9, 2019
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Regional retailers want online prices
Opposition against inequality in online and offline product prices by conventional store chains cannot be construed to any small area. Retailers from Chennai such as Vivex, Jiriaj, Satya and Vasant recently wrote a letter asking for durable goods companies to restrain price gap. A source from the industry said that since then, similar demands from the retail companies located in other parts of the country can arise.These include Mumbai’s Kohinoor and Snehangali, sales points from Ahmedabad, Great Eastern of Kolkata and retailers like Delhi’s Sargam.
These retail chain traders could not get immediate feedback about this. But it is clear that due to the success of the shopping festivals organized by e-tellers during the Dussehra-Diwali season this year, there is a wave of dissatisfaction in offline retailers, as this period is in line with the business for the retail industry in the country. Important time is considered. During October-November, Amazon had organized an online sale of three rounds, while Flipkart organized it twice, offering huge discounts to mobile phones, televisions and other products.
Mumbai’s top retailer, on condition of anonymity, said, “Over the years, we are seeing that the entire mobile business has become online. Now televisions and big tools are being sold online and the worst thing is that during the October-November, several rounds of online sell was organized during this year. Due to this online activity, fewer customers come to their stores. ‘Last month, a report by Red Sea said that the number of online buyers during the festive season increased 71 percent to 2.4 million this year compared to last year. In the festive season this year, the share of mobile phones and electronic products in the total goods sold was 80%, which gave the worry of the offline vendors as a natural boost.
Godrej Appliances Business Head and Executive Vice President and President of Consumer Electronics and Appliances Manufacturers’ Association (CEAMA) Kamal Nandi said, “These series have not given any written complaint to the CEAMA. Instead, he has written a different letter to one company. If they come to us, then we can consider raising this issue to the government. We can demand a policy from the government about this. “Companies privately believe that they tell e-tellers to keep their prices in pricing, but after a limit it becomes difficult for them to be monitored. The top employee of an electronics company in Delhi said, “It is not an option for the manufacturers to boycott the online channel. They are an important distribution medium. Today companies have different teams and products for both mediums.
Courtesy: Business Standard
क्षेत्रीय रिटेलर चाहते हैं ऑनलाइन जैसी कीमत
पारंपरिक स्टोर श्रंृखलाओं द्वारा ऑनलाइन और ऑफ़लाइन उत्पाद कीमतों में असमानता के खिलाफ विरोध को किसी एक छोटे क्षेत्र तक सीमित नहीं माना जा सकता। विवेक्स, जिरिआज, सत्या और वसंत जैसे चेन्नई के रिटेलरों ने हाल में पत्र लिखकर टिकाऊ सामान कंपनियों को कीमतों में अंतर पर लगाम कसने की मांग की। उद्योग जगत के एक सूत्र ने बताया कि उसके बाद से देश के अन्य भागों में स्थित रिटेल कंपनियों की तरफ से भी उसी तरह की मांगें उठ सकती हैं। इनमें मुंबई के कोहिनूर और स्नेहांजलि, अहमदाबाद की सेल्स पाॅइंट, कोलकाता की ग्रेट ईस्टर्न और दिल्ली की सरगम जैसे रिटेलर शामिल हैं।
इन खुदरा श्रंृखला कारोबारियों से इस बारे में तुंरत प्रतिक्रिया हासिल नहीं की जा सकी है। लेकिन यह स्पष्ट है कि इस साल दशहरा-दीवाली सीजन के दौरान ई-टेलरों द्वारा आयोजित किए गए शाॅपिंग फेस्टिवलों की सफलता से ऑनलाइन रिटेलरों में असंतोश की लहर देखी जा रही है, क्योंकि इस अवधि को देश में रिटेल उद्योग के लिए कारोबार के लिहाज से महत्वपूर्ण समय माना जाता है।
अक्टूबर-नवंबर के दौरान एमेजाॅन ने तीन दौर की ऑनलाइन सेल आयोजित की थी जबकि फ्लिपकार्ट ने दो बार इसका आयोजन किया जिसमें मोबाइल फोन, टेलीविजन और अन्य उत्पादों में भारी छूट की पेशकश की गई थी।
मुबंई के शीर्ष खुुदरा कारोबारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘वर्षों से हम देख रहे हैं कि समूचा मोबाइल कारोबार ऑनलाइन हो गया है। अब टेलीविजन और बड़े उपकरण भी ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं और उससे भी बुरी बात यह है कि इस साल अक्टूबर-नवंबर के दौरान कई दौर की ऑनलाइन से सेल आयोजित की गई थी। इस ऑनलाइन गतिविधि की वजह से उनकी दुकानों पर काफी कम ग्राहक आए।’
पिछले महीने रेड सीयर की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि त्योहारी मौसम में आॅनलाइन खरीदारों की संख्या पिछले साल के मुकाबले इस साल 71 फीसदी बढ़कर 2.4 करोड़ हो गई। इस साल के त्योहारी मौसम में कुल बेचे गए माल में मोबाइल फोन और इलेक्ट्राॅनिक उत्पादों की हिस्सेदारी 80 फीसदी रही, जिससे ऑफ़लाइन विक्रेताओं की ंिचंता को स्वाभाविक तौर पर बल मिला है।
गोदरेज अप्लायंसेज के व्यवसाय प्रमुख और कार्यकारी उपाध्यक्ष तथा कंज्यूमार इलेक्ट्राॅनिक्स ऐंड अप्लायंसेज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीईएएमए) के अध्यक्ष कमल नंदी ने कहा, ‘इन श्रृंखलाओं ने सीईएएमए के पास कोई लिखित शिकायत नहीं दी है। इसके बजाय उन्होंने एक एक कंपनी को अलग अलग पत्र लिखा है। यदि वे हमारे पास आते हैं तो हम इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाने पर विचार कर सकते हैं। हम सरकार से इसे लेकर नीति बनाने की मांग कर सकते हैं।’
कंपनियों निजी तौर पर यह मानती हैं कि वे ई-टेलर्स से दाम में समानता रखने के लिए कहती तो हैं लेकिन एक सीमा के बाद उसकी निगरानी कर पाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। दिल्ली की एक इलेक्ट्राॅनिक्स कंपनी के शीर्ष कर्मचारी ने कहा, ‘विनिर्माताओं के लिए ऑनलाइन चैनल का बहिष्कार करना कोई विकल्प नहीं है। वे एक महत्त्वपूर्ण वितरण माध्यम हैं। आज कंपनियों के पास दोनों माध्यमों के लिए अलग-अलग टीम और उत्पाद मौजूद हैं।’
- अक्टूबर-नवंबर में ऑनलाइन खुदरा कंपनियों द्वारा कई दौर के शाॅपिंग फेस्टिवल से आॅफलाइन खुदरा कारोबारियों में व्यापक अंसतोश पैदा हुआ है
- ऑफ़लाइन स्टोर मालिकों का कहना है कि आॅनलाइन सेल की वजह से उनकी दुकानों पर कम ग्राहक आते हैं।
सौजन्य: बिज़नेस स्टैडंर्ड