Retail & wholesale Trade under MSMEs
- July 3, 2021
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The union government announced fresh guidelines to include wholesale and retail traders as micro, small and medium enterprises (MSMEs).
Minister Nitin Gadkari said the decision would make such traders eligible for finance under priority sectors classified by the Reserve Bank of India (RBI). “The government has received various representations and it has been decided to include retail and wholesale trades as MSMEs, and they are allowed to be registered on the Udyam Registration portal. However, benefits to retail and wholesale trade MSMEs are to be restricted to priority sector lending only,” according to an official release.
This means that apart from getting the priority sector lending tag, these traders will not get any other benefit that small businesses otherwise get from the government.
The Udyam portal provides a single-page registration, consumes less time, and simplifies the process of registering any enterprise under the MSMEs category.
In the past, wholesale and retail trading activities were classified as MSMEs, but were excluded in 2017 as they did not cater to manufacturing activity.
Currently, central schemes such as the capital subsidy scheme and SFURTI (Scheme of Fund for Regeneration of Traditional Industries) are aimed at supporting traditional industries.
एमएसएमई के दायरे में खुदरा और थोक व्यापार
केंद्र सरकार ने थोक और खुदरा व्य़ापार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) में शामिल करने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से छोटे व्यापारी भी अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा वर्गीकृत प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत ऋण के पात्र हो जाएंगे।
आधिकारिक आदेश में कहा गया है, ‘सरकार के सामने कई प्रस्तुतियां हुई और खुदरा तथा थोक व्यापार को एमएसएसई में शामिल करने का निर्णय किया गया। इन कारोबार को उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकृत कराने की अनुमति होगी। लेकिन खुदरा और थोक व्यापार वाले एमएसएमई का लाभ प्राथमिक क्षेत्र की उधारी तक ही सीमित होगा।’
इसका मतलब है कि प्राथमिक क्षेत्र तहत उधारी के अलावा इन व्यापारियों को सरकार द्वारा छोटे कारोबारों को दिया जा रहा कोई भी अन्य लाभ नहीं मिलेगा। उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर एक पृष्ठ में पंजीकरण करना होता है और एमएसएमई के तहत किसी उद्यम को पंजीकृत कराने की प्रक्रिया को काफी सरल बनाया गया है।
पहले थोक और खुदरा व्यापार की गतिविधियों को एमएसएमई के तौर पर
वर्गीकृत किया गया था, लेकिन 2017 में इसे उस दायरे से बाहर कर दिया गया क्योंकि ये विनिर्माण गतिविधि से नहीं जुड़े थे। केंद्र की सभी वर्तमान योजनाओं जैसे पूंजी सब्सिडी योजना, स्फूर्ति आदि का उद्देश्य पारंपरिक उद्दोगो को सहायता प्रदान करना है।
‘बैंक कर्ज देने के लिए हमेशा कम जोखिम वाले कारोबार को तरजीह देते हैं और खुदरा तथा थोक व्यापार विनिर्माण की तुलना में कम जोखिम वाला है। इससे पूरे क्षेत्र पर असर पड़ सकता है। हालांकि आदेश में कहा गया है कि खुदरा और थोक व्यापार को केवल उधारी के लिए ही प्राथमिक क्षेत्र माना जाएगा, लेकिन विनिर्माण एमएसएमई को लगता है कि पंजीकरण के बाद इस व्यवसाय को भी सरकारी खरीद आदि में अनदेखा नहीं किया जा सकता है।’