Revisiting Prosecution for GST Offences
- November 14, 2022
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As part of its drive against decriminalization, the Centre is contemplating raising the monetary threshold for initiating prosecution for cognizable and non-boilable offences related to the goods and services tax (GST) to 25 crore and above.
At present, if the amount of tax evaded or input tax credit wrongly availed of 5 crore or above, the prison term may be extended to five years.
The Central Board of Indirect Taxes and Customs (CBIC)-an apex body for indirect taxation matters-is learnt to be revising some provisions under Section 132 (deals with prosecution) and Section 162 (deals with compounding of offences), keeping lover conviction rate and changing dynamics of businesses in mind, said a senior official privy to the plan.
According to CA Neeraj Garg “Prosecution should be resorted only in extremely rare situations after establishing mala fide intent. It is essential to curb evasion. It is even more essential to enable businesses to operate without the fear of prosecution and attendant proceeding,”
“The increase in threshold limits for prosecution, decriminalization of certain offences, etc under GST legislation would help in reducing litigation between the tax departments and assesses”.
This is likely to ensure more focused investigation by the tax department in cases involving high-value GST evasion, he added.
As part of the ongoing decriminalization drive, The guidelines state issued by CBIC started that approval for arrest under the GST Act shall be granted for cases wherein clear intent of tax evasion or violation exists.
The notification also stated that approval for arrest should not be granted if tax discrepancy is based on the difference of legal opinion in the interpretation of the law.
So far, the CBIC has made 960 arrests, including of 20 chartered accountants, under the current provision.
जीएसटी अपराधों के लिए दंड की समीक्षा
गैर-अपराधीकरण के खिलाफ अभियान के तहत केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के जुड़े संज्ञेय और गैर जमानती अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ाकर 25 करोड़ रूपये और उससे ऊपर कर सकती है।
इस समय अगर 5 करोड़ रूपये सा इससे ऊपर की कर चोरी या इनपुट टैक्स क्रेडिट गलत तरीके से दिखने का मामला पकड़ा जाता है तो उसमें जेल की सजा 5 साल तक हो सकती है।
अप्रत्यक्ष कराधान मामलों का शीर्ष निकाय केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) और धारा 132 (दंडित किए जाने संबंधी मामले) और धारा 162 (कई अपराधों से निपटाने) के कुछ प्रावधानों में बदलाव पर काम कर रहा है। इस योजना से जुडे़ एक अधिकारी ने कहा कि कारोबार के तरीके में बदलाव और सजा होने के कम मामलों को देखते हुए सीबीआईसी इस तरह के बदलाव पर विचार कर रहा है।
CA नीरज गर्ग के अनुसार ‘दंडित करने की सजा सिर्फ बहुत दुर्लभ मामलों में होना चाहिए, जब दुर्भावना के साथ किया गया मामला साबित हो जाए। चोरी पर काबू पाने के लिए यह जरूरी है। दंडित करने के मामले में सीमा बढ़ाए जाने, कुछ उल्लंघनों को अपराधमुक्त करने से कर विभाग व करदाता के बीच याचिकाओं की संख्या घटाने में मदद मिलेगी’’।
चोरी पर लगाम लगाना जरूरी है। अभियोजन और परिचारक कार्यवाही के डर के बिना व्यवसायों को संचालित करने में सक्षम बनाना और भी आवश्यक है।
यह उच्च मूल्य वाली जीएसटी चोरी से जुड़े मामलों में कर विभाग द्वारा अधिक केंद्रित जांच सुनिश्चित करने की संभावना है।
चल रहे डिक्रिमिनलाइजेशन ड्राइव के हिस्से के रूप में, सीबीआईसी के दिशानिर्देश बताते हैं कि जीएसटी अधिनियम के तहत गिरफ्तारी की मंजूरी उन मामलों के लिए दी जाएगी जहां उल्लंघन पर कर चोरी का स्पष्ट इरादा मौजूद है।
अधिसूचना यह भी बताती है, कि अगर कर विसंगति कानून की व्याख्या में कानूनी राय के अंतर पर आधारित है तो गिरफ्तारी की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए।
सीबीआईसी ने मौजूदा प्रावधान के तहत अब तक 20 चार्टर्ड एकाउंटेंट सहित 960 गिरफ्तारियां की हैं।