Subsidy extension to spur demand
- June 2, 2020
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Subsidy extension to spur demand for affordable housing
The extension of the Credit Linked Subsidy Scheme (CLSS) by one more year is expected to boost sale of affordable housing properties in the country.
The CLSS for the mid-income group — those earning between Rs six lakh and Rs 18 lakh — was started in May 2017.
The scheme was to end on March 31 this year. Now it has been extended to March 2021, the Finance Minister Nirmala Sitharaman said. “250,000 middle-income families will benefit during 2020-2021 and will lead to investment of over Rs 70,000 crore in housing,”.
“The extension of CLSS for another year will help demand for the affordable housing sector to inch back as and when the economy starts to revive. This in turn will help the construction sector to restart operations at the earliest possible,”.
There are currently 1.56 million under-construction units across the top seven cities, of which nearly 39 per cent are in the affordable segment priced less than Rs 40 lakh.
As a ripple effect of increased demand for affordable housing, it will positively push demand for raw materials like cement, steel, transport and other construction materials.
The government is proposing to launch a rental housing scheme in PMAY which aims to provide affordable rental homes to urban poor and migrant labour in urban areas.
The allocation planned for providing basic rental accommodation under the PPP model is certainly a better way to improve the quality of living for urban migrants and poor in big cities.
सब्सिडी बढ़ाने से बढ़ेगी सस्ते आवास की मांग
कर्ज से जुड़ी सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) को एक साल और बढ़ाए जाने से देश में सस्ते आवास की बिक्री को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह योजना 31 मार्च 2020 को समाप्त हो गई थी। वित्त मंत्री ने आज कहा कि अब इसे मार्च 2020 तक बढ़ा दिया गया है। सीएलएसएस मध्य आय वर्ग के लिए है, जिनकी कमाई 6 लाख से 18 लाख रुपये के बीच है। यह योजना मई 2017 में शुरू की गई थी।
आवास के लिए कर्ज लेने वाले इसके तहत 2.35 लाख रुपये तक सब्सिडी पाते हैं। एमआईजी 1 (मध्य आय वर्ग) के कर्ज लेने वाले, जिनकी आमदनी 6 लाख रुपये से 12 लाख रुपये है, उन्हें 4 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है, जबकि 12 से 18 लाख रुपये आमदनी वाली श्रेणी के लोगों को 3 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी मिलती है।
कर्ज से जुड़ी छूट योजना के विस्तार से सस्ते आवास के क्षेत्र पर उल्लेखनीय असर होगा। वर्क फ्राॅम होम सामान्य स्थिति बन जाने से पहली बार आवास खरीदने वालों के लिए यह उत्प्रेरक का काम करेगा।’
इस समय देश के 7 शहरों में 15.62 लाख निर्माणाधीन इकाइयों हैं, जिनमें से करीब 39 प्रतिशत आफर्डेबल सेंग्मेंट में हैं, जिनकी कीमत 40 लाख रुपये से कम है। इससे सीमेंट, स्टील, ट्रांसपोर्ट और अन्य निर्माण सामग्रियों की मांग को भी बल मिलेगा। पीएमएवाई के तहत सरकार रेंटरल हाउसिंग स्कीम भी पेश करेगी, जिसका मकसद शहरी गरीबों और शहरी इलाकों में रहने वाले विस्थापित श्रमिकों को किराये पर सस्ता आवास मुहैया करना है। इसके अलावा पीपीपी मौडल पर किराये पर आवास उपलब्ध कराए जाने से निश्चित रूप से बड़े शहर में विस्थापित होकर आने वालों की जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।