Technology based GST

While plenty will be said by way of how India fared with the goods and services tax (GST) in its first six years. It is unmistakable that GST has inspired even the most uninitiated into a technology-driven tax compliance and administration regime that is the world’s envy with nearly nothing required to be addressed offline.

Cross-learning between Centre and states through HSN codes

The learning from each other facilitates collaboration, especially when inter-state evasions have to be investigated. The harmonized system of nomenclature (HSN) code forms the common thread to track, trace and cross-pollinate ideas.

Affirmative action by taxpayer
While self-assessment is the legislative autonomy vested with the taxpayer, it includes the perils of any misstep by the taxpayer. Returns are to be furnished not because GSTN cannot ‘derive’ this information. Instead, it must be viewed as affirmative action by the taxpayer, to be held accountable for the assertions made, both expressed and implied.

While liability self-assessed is disclosed in GSTRI returns, and is discharged in GSTR3B returns, refraining from availing of credit or making reversal to a certain extent are also affirmations that the taxpayer will be accountable for. It would be interesting to observe the development of new levels of jurisprudence when the audit trail is presented as evidence in support of the taxpayer’s misadventures.

Automation

The backbone of GST is technology. GST has embraced unprecedented levels of automation in data validation and dissemination for departmental action.

Sophisticated evaluation criteria, apart from ensuring consistency, offers refinement in the selection of cases of inquiry while reducing subjectivity. And altering perceived evasion requires more pervasive use of technology to screen countryside data that is now available as information flows from all regulators. Inquiries become more targeted, and with this level of preparedness, tax evaders can be successfully brought to book and the recovery accelerated, leaving little room to dispute the well-investigated demands.

Exchange of information with various departments

Linear comparison of taxpayer’s data available with the income-tax department has exposed unprecedented levels of escaped turnover for detecting leakage in GST revenue. When the data submitted by the taxpayers to different regulators under various statutes like Companies Act, IBC, RERA, Legal Metrology, etc., does not match with that reported in GST returns, and the divergence is detected, it will provide irrefutable evidence to bring those adopting mischievous tax positions to book. Legal action against unscrupulous taxpayers will result in a level-playing field between dishonest and scrupulous taxpayers.

Add the data available with banks, payment gateways; clearing houses, crypto exchanges and notified IUs, and Section 150 of CGST Act, 2017 will raise the bar for the development of intelligence to detect leakage.

Experiments need time and GST has long passed the stage of experimentation. And the proof is in the revenue collection numbers. GST holds the promise to deliver the resources needed to turn this vision into the reality that the people of our nation deserve.


तकनीक पर आधारित जीएसटी


जबकि भारत ने अपने पहले छह वर्षों में (जीएसटी) वस्तु और सेवा कर में कैसा काम किया है, इसके बारे में काफी कुछ कहा जा सकता है। तकनीक पर आधारित कर व्यवस्था जीएसटी में कर अनुपालन और प्रशासन की व्यवस्था ने दुनिया को ईर्ष्या से भर दिया है, जिसमें ऑफलाइन पर कुछ भी नहीं करना होता है।

केंद्र और राज्यों का HSN कोड के साथ आपस में सीखना

एक दूसरे से सीखने से सहयोग की सुविधा प्राप्त होती है, खासकर जब अंतर्राज्यीय करवंचना को जांचना होता है। HSN कोड का समन्वित तरिका खोज, निशान देही और विचार निशेचन को एक धागें में संयोजित करता है।

करदाता द्वारा सकारात्मक कार्रवाई

हालांकि करदाता के पास स्वयं-मूल्यांकन की कानूनी स्वतंत्रता होती है, लेकिन साथ ही इसमें करदाता द्वारा किए गए किसी भी गलत कदम के खतरे भी शामिल होते हैं। रिटर्न को सबमिट करने की आवश्यकता इसलिए नहीं होती है जीएसटीएन इस जानकारी को ’प्राप्त’ नहीं कर सकता। इसके बजाय, इसे करदाता द्वारा स्वीकारात्मक कार्रवाई के रूप में देखा जाता है, जो व्यक्त और ज्ञात होने वाले दावे का जिम्मेदार है।

GSTR 1 रिटर्न में स्वयं निर्धारित जिम्मेदारी घोषित की जाती है, और GSTR3B  रिटर्न में इसे अदा किया जाता है, जिससे क्रेडिट का उपयोग करने से इनकार करने या एक निश्चित सीमा तक पलटाव करने से भी करदाता को दावों के लिए उत्तरदायी बनाया जाता है। जब करदाता के अपराधों को आडिट ट्रेल के साक्ष्य के साथ पेश किया जाएगा, तो न्याय में नये स्तरों के विकास का अवलोकन करना दिलचस्प होगा।

स्वचालन

जीएसटी की रीढ़ है तकनीक। जीएसटी ने विभागीय कार्रवाई के लिए डेटा मान्यता और प्रसारण में अभूतपूर्व स्तरों को ग्रहण किया है।

विशिष्ट मूल्यांकन मानदंड, संवेदनशीलता की सुनिश्चितता के अलावा, जांच पड़ताल वाले मामलों के चयन में व्यक्तिपरकता कम करते हुए संशोधन करता है। अनुमानित करवंचना को बदलने के लिए व्यापक तकनीक आवश्यक होती है, जो अब सभी नियामकों से जानकारी के रूप में उपलब्ध है, अनुसंधान निश्चित निशानों पर की जाती हैं, और इस स्तर की तैयारी के साथ, कि कर उल्लंघनकारियों को सफलतापूर्वक पकड़ा जा सकें है और वास्तविक शुद्ध मांगों पर विवाद के लिए बहुत कम गुजाइस हो।

विभिन्न विभागों के साथ जानकारी का आदान-प्रदान

आयकर विभाग के पास उपलब्ध करदाता के ब्यौरे की विवेचना से संपूर्ण बिक्री में छिपे हुए ब्योरों का अभूतपूर्व स्तरों तक उजागर करते हुए जीएसटी राजस्व की चोरी पकड़ी जा सकी है। जब करदाताओं द्वारा विभिन्न नियामकों को जैसे कंपनी कानून, आईबीसी, रेरा, लीगल में ट्रोलोजी, आदि के तहत जमा किए जाने वाले डेटा, और जीएसटी रिटर्न में रिपोर्ट किए जाने वाले डेटा की मिलान करने पर अंतर पता चला हो, तो यह करवंचको के लिए निश्चित प्रमाण प्रस्तुत करेगा बेईमान करदाताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई से बेईमान और ईमानदार कर दाताओं में एक समान स्तरीय विश्वसनीयता प्राप्त होगी। बैंकों,UPI पेमेंट गेटवे, क्लीयरिंग हाउसेज़, क्रिप्टो एक्सचेंज और सूचित आईयू, और सीजीएसटी एक्ट, 2017 की धारा 150, में उपलब्ध डेटा करवंचना की खोज के लिए बुद्धिमानी के विकास के लिए नए मानदंडों को बढ़ाएगी।

नए प्रयोगों के लिए समय चाहिए और जीएसटी इस दौर से आगे निकल चुका है और राजस्व संग्रह इसका सबूत है। हमारे राश्ट्र के नागरिक जिन संसाधनों की अपेक्षा करते हैं, उन्हें वास्तविक रूप में प्रदान करने में अब जीएसटी सक्षम है।