A two-day special seminar was organized at Forest Research Institute, Dehradun. Industrialist of plywood industry were invited in it. In the program, Subhash Jolly, President of Wood Technology Association said that it is our endeavor that scientists and industrialists should come on one platform, to promote new technology in the industry. He said that PM Narendra Modi is dreaming of self-reliant India, we should fulfill this dream in plywood also. FRI scientists are working day and night to accomplish this.

The program spanned two days: Need of the hour is onsite and institutional training, demonstration and trial collaboration with Wood Industries, wood technologists, tree growers and farmers. In the program, ICFRE Director General Arun Singh Rawat, Dr. NK Upreti, Dr. Ajay Thakur, Scientist DP Khali, Dr. Charan Singh and Dr. Devendra Kumar apprised the delegates about the ongoing activities and research in the institute.


Dr NK Upreti briefed about ongoing research on extension activities of Melia Dubia, Corymbia, Poplar and agro-forestry models and training to farmers.

On this occasion Rajesh Goel from Hari Om Timbers from Yamunanagar, Kamal Jain from Arihant Wood Products, Ashwini Kaushik from Grasim Plywood, Shyam Sundar Agarwal from Haploos Plywood and Subhash Jolly, President Wood Technologists Association also expressed their views.

Enthusiastic industrialists: The industrialists were very inspired by the ongoing efforts of the institute to promote agroforestry by developing different varieties of timber for wood based industries.

Ashwini Kaushik, Rajesh Goyal Kamal Jain and Shyam Sundar Agarwal said that they will be happy to join with any research programme of FRI in their plants.

Visit of the Institute: On this occasion, the scientists of the institute, Dr. Ajay Thakur, Dr. Ashok Kumar, Scientist DP Khali and research student Neha Panwar accompanied in the institute campus with the visiting delegates. This was followed by visits to field trials of 3, 4 year and 15 year old tissue culture and some products made from Corymbia wood. The guests were informed about the Corymbia hybrid tree improvement program.

Workshop visited in the second session: Visited the workshop of Plywood and Composite discipline in the second session of the programme. Scientist DP Khali told about the activities and also showed the working of the new high frequency curved plywood press.

He also informed the attendees about the training provided especially to the next generation of entrepreneurs and the ongoing research by PhD students.

Melia Dubia is the future of face veneers
In the next day’s program, Arun Singh Rawat, Director General, ICFRE and Subhash Jolly addressed the session in the presence of representatives of plywood industrialists, agro-forestry and media. The Plyinsight editor, Suresh Bahety, Dr. NK Upreti, Scientist DP Khali, Dr. Ashok Kumar, Dr. Ajay Thakur and Dr. PS Rawat were present on the occasion. DG Arun Singh Rawat emphasized that Melia Dubia is now the future of face veneer which can save billions of foreign exchange.


Dr. Ashok pointed out that Melia is perfect for face veneer and can be a suitable raw material for the industry. In the final technical session, various strategies for developing face veneer and other products from Melia Dubia were discussed in detail with Subhash Jolly, Amarjit Singh of Guru Amar Industries, Scientist DP Khali, Dr. Ashok Kumar and Dr. Shailendra Kumar.

On the second day in this program Amarjit Singh of Guru Amar Industries was overwhelmed to see the efforts of FRI. and immediately he assured to provide 4 feet piling machine from his side.

DG Arun Singh Rawat and SC Jolly thanked him for this. Jolly said that there is a need for industrialists to provide machines to FRI in the same spirit. Because research will be done here and, this research will be transferred to plywood and wood industry later. This will definitely benefit the plywood and timber industry.


फाॅरेस्ट रिसर्च इंस्टीटयूट देहरादून में दो दिवसीय सेमिनार




फाॅरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून में दो दिवसीय विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें प्लाइवुड उद्योग के उद्योगपतियों को आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में वुड टैक्नोलोजी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष जोली ने बताया कि हमारी कोशिश है कि वैज्ञानिक और इंडस्ट्रिलिस्ट एक मंच पर आएं। जिससे उद्योग में नई तकनीक को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने कहा कि हमारी हर संभव कोशिश यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी, जो आत्मनिर्भर भारत का सपना देख रहे हैं, यह सपना हम प्लाइवुड में भी पूरा करें। इसे पूरा करने के लिए एफआरआई के वैज्ञानिक दिन रात काम कर रहे हैं।

कार्यक्रम दो दिवसीय रहा: वुड इंडस्ट्रीज, वुड टेक्नोलाॅजिस्ट और किसानों के साथ आनसाइट और संस्थागत प्रशिक्षण, प्रदर्शन और परीक्षण सहयोग पर जोर देने की आवश्यकता बतायी गई। कार्यक्रम में संस्थान आईसीएफआरई के महानिदेशक अरूण सिंह रावत के साथ डाॅ एन के उप्रेती, डाॅ अजय ठाकुर, वैज्ञानिक डीपी खली, डाॅ चरण सिंह और डाॅ देवेंद्र कुमार ने आए हुए प्रतिनिधियों को संस्थान में चल रही गतिविधियों और रिसर्च के बारे में अवगत कराया। डाॅ एन के उपे्रती ने मेलिया डुबिया, कोरिम्बिया, पोपलर और कृषि वानिकी माॅडल की गतिविधियों और किसानों को प्रशिक्षण पर चल रहे शोध के बारे में विस्तार से बताया।


इस मौके पर यमुनानगर के हरिओम टिम्बर्स के राजेश गोयल, अरिहंत वुड प्रोडक्ट्स से कमल जैन, ग्रासिम प्लाइवुड से अश्विनी कौशिक, हापलुस प्लाइवुड से श्याम सुंदर अग्रवाल, वुड टेक्नोलाॅजिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष जाॅली ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

FRI द्वारा कृषिवाणिकी को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न किस्म की लकड़ीयों पर चल रहे शोध का अवलोकन कर सभी उद्योगपति काफी उत्साहित नजर आये। अश्विनी कौशिक, राजेश गोयल, कमल जैन एवं श्याम सुन्दर अग्रवाल सभी ने तन-मन-धन से संस्थान के शोधकार्यों में सहयोग करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि FRI किसी भी शोध के लिए उनके प्लांट का बेहिचक उपयोग कर सकती है।

संस्थान का दौरा किया: इस मौके पर संस्थान के वैज्ञानिक डाॅ अजय ठाकुर और वैज्ञानिक डीपी खली पंवार के साथ शोधकर्ता नेहा पंवार ने आए हुए प्रतिनिधियों के साथ संस्थान परिसर में दौरा किया। इसमें 3, 4 साल और 15 साल पुराने टिश्यू कल्चर के फील्ड परीक्षणों का दौरा किया गया और कोरिम्बिया की लकड़ी से बने कुछ उत्पादों को भी शामिल किया गया। मेहमानों को कोरिम्बिया संकर वृक्ष सुधार कार्यक्रम के बारे में बताया गया।

दूसरे सत्र में कार्यशाला का दौरा कियाः कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्लाइवुड और कंपोजिट डिसिप्लिन की कार्यशाला का दौरा किया गया। वहां वैज्ञानिक खली ने गतिविधियों के बारे में बताया और नए विद्युतचालित हाई फ्रीक्वेंसी पे्रस की कार्यप्रणाली भी दिखाई। उन्होंने उपस्थित लोगों को विशेष रूप से उद्यमियों की अगली पीढ़ी को प्रदान किए जा रहे प्रशिक्षण और पीएचड़ी छात्रों द्वारा चल रहे शोध के बारे में भी बताया।

मेलिया डुबिया अब फेस विनियर का भविष्य है
अगले दिन के कार्यक्रम में आईसीएफआरई के महानिदेशक अरूण सिंह रावत और सुभाष जाॅली ने मिल कर प्लाईवुड उद्योगपतियों, कृषि वानिकी और मीडिया के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सत्र को संबोधित किया। इस मौके पर द प्लाईइनसाइट के संपादक सुरेश बाहेती, डाॅ एनके उप्रेती, वैज्ञानिक डीपीखली, डाॅ अशोक कुमार, डाॅ अजय ठाकुर और डाॅ पी एस रावत मौजूद रहे। महानिदेशक अरूण रावत ने जोर देकर कहा कि मेलिया डुबिया अब फेस विनियर का भविष्य है जो अरबों मूल्य की विदेशी मुद्रा बचा सकता है।

डाॅ अशोक ने बताया कि मेलिया फेस विनियर के लिए एकदम सही है और उद्योग के लिए एक उचित कच्चा माल हो सकता है। अंतिम तकनीकी सत्र में श्री सुभाष जाॅली, गुरू अमर इन्डस्ट्रीज के अमरजीत सिंह, वैज्ञानिक डी पी खली, डाॅ अशोक कुमार और डाॅ शैलेंद्र कुमार के साथ मेलिया के फेस विनियर और अन्य उत्पादों को विकसित करने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की गई।

इस कार्यक्रम में दूसरे दिन गुरू अमर इंडस्ट्रीज के अमरजीत सिंह, एफआरआई के प्रयासों को देखकर काफी अभिभूत हुए और तत्काल उन्होंने 4 फीट पिलिंग मशीन अपनी ओर से उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।




इसके लिए अरूण सिंह रावत एवं सुभाष जौली ने उनका धन्यवाद किया। इस अवसर पर जौली ने कहा कि उद्योगपतियों को इसी तरह से एफआरआई में मशीनें उपलब्ध कराने की जरूरत है। क्योंकि यहां इन पर रिसर्च होगी और यह रिसर्च बाद में प्लाइवुड और लकड़ी उद्योग को ट्रांसफर की जाएगी। इससे निश्चित ही प्लाइवुड और लकड़ी उद्योग को फायदा होगा।