The US’s sudden support for a waiver of patent protections for Covid-19 vaccines — in response to requests from countries such as India — is heading to the World Trade Organization (WTO), setting the stage for potentially thorny negotiations over sharing the proprietary know-how needed to boost global supplies of the life-saving shots.

Indian vaccine makers feel that the decision of the US administration to support a patent waiver for Covid-19 vaccines is a welcome step, but it may mean very little in terms of giving immediate access unless innovator companies come forward to partner. Even if technology is made available immediately, it would take nine months to a year to develop the processes and commercialise the same, they say.

Vaccines are biological products using viruses, and manufacturing them involves an extremely complex process. Any change in that process can result in failure to get the right vaccine candidate, warns the Indian industry. US pharmaceutical associations, however, feel that the decision to support the patent waiver would weaken already-strained supply chains.

One does not really know the exact process of manufacture waiving the IP would mean very little in terms of giving access unless the innovator company was willing to partner and help other companies to do the technology transfer and help develop the processes.

It would need capital investments and also around a year to develop the processes and everything to make these vaccines.

For vaccine manufacturing, one needs the drug substance. Capacities of making drug substances are a stumbling block in ramping up production.



अमेरिका पेटेंट हटाने को राजी


अमेरिका ने कोविड-19 टीकों के जुड़ी बौद्धिक संपदा अधिकार की सुरक्षा की शर्त कुछ समय के लिए खत्म करने का फैसला किया है। इसका मकसद अधिक से अधिक देशों को कोविड-19 से बचाव के टीके तक पहुंचने में मदद करना है।

संपदा सुरक्षा की शर्त अस्थायी तौर पर खत्म करने का असाधारण कदम उठाया है। भारत और दक्षिण अफ्रीका के साथ डब्ल्यूटीओ के 57 अन्य सदस्य देशों ने बौद्धिक संपदा अधिकार समझौते के व्यापार संबंधित पहलू (ट्रिप्स) के कुछ खास प्रावधान अस्थायी तौर पर खत्म करने का प्रस्ताव रखा है। यदि प्रस्ताव मान लिया जाता है तो दुनिया के कई देशों के सामने कोविड-19 टीके बनाने की राह में आ रही कानूनी अड़चन खत्म हो जाएगी।

अमेरिका बौद्धिक संपदा की सुरक्षा का बहुत हिमायती है मगर कोविड-19 महामारी समाप्त करने के लिए वह इस व्यवस्था में ढील दिए जाने का समर्थन करता है।

पेटेंट हटाने से तुरंत नहीं मिलेंगे टीके, करीब एक साल लगेगा
भारत की टीका कंपनियों का कहना है कि जब तक मूल टीका बनाने वाली कंपनी साझेदारी के लिए आगे नहीं आती तब तक टीका फौरन हासिल नहीं हो पाएगा। अगर तकनीक तत्काल मिल जाती है तो भी प्रक्रिया विकसित करने और व्यारवसायिक उत्पादन शुरू करने में 9 से 12 महीने लग जाएंगे।

टीके जैविक उत्पाद हैं, जिन्हें बनाने में वायरसों को इस्तेमाल होता है। इनका उत्पादन बहुत जटिल प्रक्रिया है। भारतीय उद्योग ने चेताया है कि उस प्रक्रिया में मामूली सा बदलाव होने पर सही टीका हासिल नहीं हो पाएगा।

अगर खोजकर्ता कंपनी अन्य कंपनियों के साथ साझेदारी करने, तकनीक हस्तांरित करने और प्रक्रियाएं तैयार करने में मदद करने को राजी नहीं है तो बौद्धिक संपदा का अधिकार छोड़ने का ज्यादा फायदा नहीं है।