Vikash Khanna
- May 31, 2021
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Hope is the only word to surpass the havoc, created by the second phase of covid. A talk with Shri Vikash Khanna is here to assess the situation. He is optimistic that plywood industry will regain its glorious position overcoming the pandemic as it has done last year.
Second wave of Covid is challenging?
Although industries are running almost half of their capacity, yet we should be satisfied in the the present scale of our business. Every field will be disturbed, if we try to get full volume. Is there any benefit to dump our finished product, when major markets are not performing, due to full or partially lockdown at different locations of the country. “Slow and steady” is the best policy right now. Managing and satisfying our workforce is more important at the moment. Stress is knocking down everyone silently. We are visiting our plants almost daily to communicate with our workers and staff. Physical presence and meeting give more satisfaction to both of us.
When do you see normalcy?
Plywood and block board are getting tough competition from MDF and particle board. It is not that, it is complete dry, yet demand is expected to rise with slowdown of pandemic. Works at actual site is not expected to resume immediately . We should be patient at the moment, deviating negativity.
Proposed plywood park in Punjab, how do you see it?
Proposal was submitted to state government, for an industrial park in Hoshiarpur. Although, it has not been granted till now. It will be a good suggestion, if existing industries are shifted to one industrial area, from different locations. Whatsoever little amount of polluted water produced in the unit, can be recycled collectively. Hotline of electricity can be managed. A green corridor of trees can be maintained to check air pollution. Of course, this should be suggestion and advisable to every manufacturers, to maintain there declared capacity. It is a hard fact, that our manufacturing capacity is much higher than our present market demand. It is also requested to our policy makers to keep these facts in mind, before issuing any further new license.
There are glitches on nonpayment of GST by our suppliers.
It is a regular problem faced by us. Industries are end user of raw material, be it timber or core veneer. If any mis appropriation is traced, then industry only will be held responsible. We cannot find out the Billing source. Although we try our best to be reasonable and cautious on the subject, but there is limit on our part also, to find out the legitimate source of the bill.
If the supplier is not regular, can we not pay GST on their behalf?
We can claim unpaid GST from a regular supplier, as because we owe him. It may be a very good suggestion, if we can convince authorities to pay GST on behalf of our suppliers. We will go for it, as soon as the situation permit us to do. At present situation of Covid is grim and no one in the government will be available to pay attention. There was a post in recent past, that supplier has issued e way bill in the name of a unit, who was not actual recipient. Actually, we should reject such request at the very moment of e-way Bill generation.
The issue is very sensitive and require attention from everyone.
आशा ही एक ऐसा शब्द है, जो कोविड की दूसरी तरंग के तुफान से पार पाने की क्षमता रखता है। श्री विकाश खन्ना से वार्तालाप करते हुए ,वर्तमान परिस्थितियों को समझने की कोशिश की गई।
उन्हें शत प्रतिशत आशा है, कि, प्लाइउड इन्डस्ट्री, पिछले वर्ष की तरह ही इस महामारी से उबरते हुए अपने उज्जवल पथ पर अग्रसर रहेगी।
कोविड की दूसरी लहर से इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ रहा है?
पचास प्रतिशत क्षमता पर प्लांट चल रहे हैं। इस क्षमता पर भी यदि प्लांट चलते रहे, तो बेहतर है। क्योंकि सुकून से काम हो रहा है। यदि आज पूरी क्षमता पर उत्पादन लिया जाए, तो यूं ही प्लांट बंद करना पड़ेगा। क्योंकि जहां एक तरफ कच्चे माल की समस्या आ जाएगी, तो दूसरी तरफ तैयार माल की निकासी की। इससे तो बेहतर है कि कम क्षमता पर लगातार उत्पादन किया जाए। इससे मजदूरों को भी काम मिलता रहेगा। इस वक्त मजदूरों का मनोबल काफी कमजोर है। वह डरे सहमे हुए हैं। ऐसे में उत्पादक यदि प्लांट में लगातार आते हैं, मजदुरों से मिलते हैं ,तो सभी का हौसला बना रहता है। अपने सहयोगियों को हौसला देना जरूरी है, वैसे भी आधी से अधिक तो घर जा चुकी है। आज कल क्योंकि बाहर से कोई मेल मुलाकात के लिए आ नहीं रहा है। ऐसे में मजदुरों के साथ मेल मुलाकात और सामुहिक विचार विमर्श भी हो जाता है।
हालात सुधरने की कब तक उम्मीद है?
इस वक्त एमडीएफ से बोर्ड की सेल प्रभावित हो रही है, प्लाईवुड की सेल पर भी असर पड़ रहा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि मांग नहीं है, फिलहाल कम है। मांग आएगी, क्योंकि कोविड का असर धीरे-धीरे कम होगा, लोग अपने घरों का काम, जो अभी बंद कर रखा है, वह शुरू करेंगे। तब मांग बढ़ेगी। युनिट संचालकों को इस वक्त संयम से काम लेना होगा। यह समय हड़बड़ी का नहीं है।
पंजाब में प्लाईवुड पार्क की योजना पर विचार या विवाद चल रहा है?
होशियारपुर में एक इंडस्ट्रियल हब और प्लाइवुड पार्क बनाने का आग्रह सरकार से किया गया था। हालांकि अभी इसकी परमिशन नहीं मिली है। अगर वर्तमान में संचालित यूनीटों को गांव से निकालकर इंडस्ट्रीयल एरीया में ट्रांसफर किया जाता है, तो वास्तव में यह एक अच्छी योजना होगी। जो भी थोड़ा बहुत वाटर पाॅल्यूशन होता है, वह एक स्थान पर ही सम्मिलित तौर पर उपचारित हो सकता है। इसके अलावा बिजली की हाट लाइन मंगाई जा सकती है। एयर पाॅल्यूशन भी एक जगह सीमित हो सकता है ,जो आस-पास हरित क्षेत्र बनाने को उत्साहित करेगा।
हां यह जरूर है कि सभी प्लाईवुड संचालक अपनी-अपनी जो घोषित क्षमता है, उसी अनुसार काम करें तो बेहतर है। इससे बाजार में संतुलन आएगा। क्योंकि अभी मांग और उत्पादन में संतुलन बिगड़ा हुआ है। जो सभी के लिए परेशानी की वजह है। इसी क्रम में सरकार से भी अनुरोध है कि नये लाइसेंस जारी करने से पहले चार बार सोचे। यह तो तय है कि वर्तमान में प्लाइवुड का उत्पादन बाजार की मांग से कई गुना अधिक है।
कई सप्लायर जीएसटी की पेमेंन्ट समय से नहीं करते?
इसमें समस्या आ रही है कि कई कच्चे माल के सप्लायर हैं, वह बिलिंग सही नहीं कर रहे हैं। इसका खामियाजा प्लाईवुड युनिट संचालक को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि वह एंड यूजर हैं। यदि कभी किसी सौदे की जांच होती है, विभाग उद्योग के पास ही आएगा। इसलिए यह स्थिति बहुत ही तकलीफदेह है। इंडस्ट्रियलिस्ट को अपनी यूनिट चलानी है। अब किसान लकड़ी लेकर आया। पिलिंग वाले ने इससे कोर बनायी। अब किसान की लकड़ी या कोर का बिल जो हमें मिला है य वह बिल सही है या गलत है, इसके पीछे की कहानी क्या है? हम नहीं जानते। क्योंकि पीछे से वह जो बिलिंग करा रहा है, वह कहां से करा रहा है, इसके पीछे चेन क्या है, यह नहीं पता। इसलिए यह बहुत ही पेचीदा स्थिति है। इसका नुकसान कभी न कभी इंडस्ट्री को होगा। हालांकि जितनी सावधानी बरती जा सकती है उसकी हम जरूर कोशिश करते हैं।
जो सप्लायर रेगुलर नहीं है, उनके बिलों का जीएसटी भुगतान, क्रेता उद्योगपति द्वारा ही कर दिया जाए?
रेगुलर सप्लायर्स की रकम हमारे पास जमा रहती है। ऐसे में यदि वह जीएसटी का भुगतना नहीं करता है, तो हम जिम्मेदारी ले सकते हैं। यदि सरकार यह प्रावधान कर दे, कि, हम ही उसका जीएसटी काट कर स्वयं जमा करा दें। यह अच्छा सुझाव साबित हो सकता है। इस पर बातचीत की जा सकती है। तत्काल तो नहीं, लेकिन कोविड की स्थिति ठीक होने के बाद इस पर विचार-विमर्श किया जा सकता है।
इसके लिए सरकार से आग्रह किया जा सकता हैै। इससे सभी प्लाईवुड इंडस्ट्री को लाभ होगा। क्योंकि तब माल चाहे यूपी से आए या कहीं और से। जीएसटी भुगतान की दिक्कत दूर हो सकती है। पीछे एक पोस्ट भी आई थी, माल गिराना था किसी और के यहां, माल का बिल बनाया गया किसी और के नाम। ईवे बिल कटा था। लेकिन जिसके नाम ईवे बिल कटा तो उन्होंने रिजेक्शन नहीं किया। हालांकि होना यह चाहिए कि अगर आपको पता है कि माल आपके यहां नहीं आना य तो ईवे बिल बनते वक्त ही (मना) रिजेक्ट कर देना चाहिए।
यह चिंता की बात है। इस विषय के समाधान की कोशिश हर स्तर पर करनी पड़ेगी। ताकि भविष्य में आने वाली संभावित समस्याओं से बचा जा सके।
वक्त मुश्किल का है, लेकिन उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए, यह दौर भी गुजर जाएगा।