Will have to wait for improvement

Will Have to Wait for Improvement


Economic activity has picked up in the country with the slowdown in lockdown, but the Reserve Bank of India (RBI) feels that activities may remain subdued for some more time as some states have strictly enforced lockdown again.

According to the report, there has been an unprecedented reduction in economic activity. Activities intensified in May and June after the lockdown was relaxed, but in July and August, all of the boom disappeared due to repeated strict lockdowns in many states. This suggests that economic activity will decline in the second quarter as well.

The central bank said that consumption has suffered a major setback and it will take some time for the situation to improve and consumption before the epidemic. Government spending has been greatly increased to fight the epidemic, so demand-based activities will reduce significantly. The report said, “Government finances have been used so much that the reduction in capital expenditure for growth seems to be inevitable.” Financial policy will change significantly in the future due to the debt and other liabilities that have stalled during the epidemic. The report says, “Only a reliable plan to strengthen the treasury will now be effective, in which accurate measures can be taken to reduce debt and fiscal deficit.”

The RBI has suggested that the government should use big data and technology to detect defaulters in tax payments and increase the tax base. Along with this, the Goods and Services Tax (GST) rules should be made appropriate and simple. Employment generation should be focused on and financial incentives can be given to companies that use labor more efficiently.

According to the RBI, banks and non-banking financial companies are now losing their status as the primary source of funds for the corporate sector as companies are now focusing more on the capital and bond markets. Nevertheless, the financial companies will have to give up their habit of avoiding risk because it is causing bottlenecks in the productive sectors of the economy.

The report said, “The crisis has brought opportunities with itself and the future picture will be determined by how they are taken advantage of.” The softening of macroeconomic fronts will affect banks’ asset quality, capital adequacy and profitability. The report says, “Due to the epidemic, regulatory measures like moratorium in loan payments, postponement of interest payments and debt restructuring have become necessary, but if they are not properly monitored and used properly, the financial condition of banks will be affected. Could. ‘ Regulatory concessions and measures have exposed the deteriorating situation due to the epidemic, but the reality will be revealed in the future.

भारतीय रिजर्व बैंक ने पेश की अपनी सालाना रिपोर्ट

सुधार के लिए करना होगा इंतजार

देश में लाॅकडाउन में ढील के साथ आर्थिक गतिविधियों ने कुछ जोर पकड़ा है मगर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को लगता है कि गतिविधियां कुछ और समय तक मंद ही रह सकती हैं क्योंकि कुछ राज्यों ने सख्ती के साथ दोबारा लाॅकडाउन लागू कर दिया है। केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक गतिविधियों में अभूतपूर्व कमी आई है। लाॅकडाउन में ढील के बाद मई और जून में गतिविधियां तेज हुई थीं मगर कई राज्यों में दोबारा सख्त लाॅकडाउन लगाने जाने से जुलाई और अगस्त में सारी तेजी गायब हो गई। इससे लगता है कि दूसरी तिमाही में भी आर्थिक गतिविधियों में कमी आएगी।

कंेंद्रीय बैंक ने कहा कि खपत को तगड़ा झटका लगा है और हालात सुधरने तथा महामारी से पहले जैसी खपत होने में कुछ समय लग जाएगा। महामारी से लड़ने के लिए सरकारी खर्च बहुत बढ़ाया जा चुका है, इसलिए मांग पर आधारित गतिविधियों में काफी कमी आएगी। रिपोर्ट में कहा गया, ‘सरकारी वित्त का इतना इस्तेमाल कर लिया गया है कि वृद्धि के लिए पूंजीगत खर्च में कमी लाजिमी लग रही है।’ महामारी के दौरान रुके कर्ज औरी दूसरी देनदारी की वजह से भविष्य में वित्तीय नीति काफी बदली होगी। रिपोर्ट कहती है, ‘खजाना मजबूत करने की भरोसेमंद योजना ही अब कारगर होगी, जिसमें कर्ज तथा राजकोशीय घाटा कम करने के सटीक उपाय बताए जाएं’’।

आरबीआई ने सुझाव दिया है कि सरकार को कर भुगतान में डिफाॅल्ट करने वालों का पता लगाने और कर आधार बढ़ाने के लिए बिग डेटा तथा तकनीक का इस्तेमाल करना चाहि। इसके साथ ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नियम उपयुक्त और सरल बनाने चाहिए। रोजगार सृजन पर ध्यान देना चाहिए और श्रम का ज्यादा इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जा सकता है।

आरबीआई के अनुसार बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अब कंपनी जगत के लिए रकम के प्राथमिक स्त्रोत का अपना दर्जा खो रही हैं क्योंकि अब कंपनियां पूंजी और बाॅन्ड बाजार पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। फिर भी वित्तीय कंपनियों को जोखिम से बचने की अपनी आदत छोड़नी होगी क्योंकि उसके कारण अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को कर्ज मिलने में अड़चन आ रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है,‘संकट अपने साथ अवसर भी लाया है और भविष्य की तस्वीर इस बात से तय होगी कि उनका फायदा कैसे उठाया जाता है।’ वृहद आर्थिक मोर्चो पर नरमी से बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता, पूंजी पर्याप्तता और लाभदेयता प्रभावित होगी। रिपोर्ट कहती है, ‘महामारी के कारण कर्ज भुगतान में माॅरेटोरियम, ब्याज भुगतान को टालने और कर्ज पुनर्गठन जैसे नियामकीय उपाय जरूरी हो गए हैं मगर उन पर ठीक से नजर रखी गई और सही इस्तेमाल नहीं किया गया तो बैंकों की माली हालत पर असर पड़ सकता है।’ नियामकीय रियायतों और उपायों ने महामारी के कारण बिगड़ी स्थिति पर पर्दा डाल दिया है मगर आगे जाकर हकीकत सामने आएगी।