एक वेबिनार में रतन टाटा समेत कई दिग्गज हस्तियों ने सुझाव दिया, अब वक्त् आ गया हमें झुगी झोपड़ी वालों के बारे में भी सोचना होगा

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निश्चित ही यह मुश्किल वक्त है। फिर भी ऐसा बहुत कुछ है जो किया जा सकता है। जिससे हालात को पलटा जा सकता है। एक वेबिनार में दिग्गजों ने कहा कि यह वक्त कुछ अलग हट कर सोचने का है। बातचीत में रतन टाटा ने कहा कोविड-19 महामारी इस बात को लेकर खतरे की घंटी है कि हम क्या कर रहे हैं, और हमें क्या चिंता नहीं है। इस समस्या के लिए झुग्गियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन यह भी सच है कि वहां रहने वालों का उचित तरीके से ख्याल नहीं रखा जा रहा है। लगातार झौपड़ी वालों को उजाड़ा जा रहा है। उनकी जगह छीन के वहां आलिशान बिल्डिंग बनायी जा रही है। उन्हें शहर से दूर धकेला जा रहा है। उन्हें अपने कार्यस्थलों से दूर किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि झुग्गी-झोपड़ी वालों को आसपास के बाशिंदों के करीब मुफ्त हवा और जिंदगी भी नसीब नहीं है। टाटा ने कहा, ‘जीवन की गुणवत्ता के स्वीकार्य मानक की कोई कसौटी नहीं है।’

डेला ग्रुप के चेयरमैन जिमी मिस्त्री ने कहा कि अगर लोग सीधे झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण से बातचीत करें और बाद में डेवलपरों के लिए टेंडर निकाले जाएं तो इससे झुग्गियों के पुनर्विकास में बदलाव आएगा। उन्होंने कहा, ‘आज पूंजी की कमी के कारण झुग्गियों के पुनर्विकास की योजना फंसी हुई है। हम तीन या चार एफएसआई में अटके हुए हैं जबकि न्यूयॉर्क में एफएआर 50 हैं और लंदन में 35।’ एफएसआई या एफएआर का मतलब है किसी भूखंड में निर्माण की अनुमति। मुंबई जैसे शहरों में एफएसआई भूखंड के आकार के 2.5 से 5 गुना तक है। यह परियोजनाओं पर निर्भर करता है।
देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई की सबसे बड़ी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था धारावी जीडीपी में सालाना एक लाख करोड़ डॉलर का योगदान करती है लेकिन इस समय कारोबार पूरी तरह बंद है। यह एशिया का सबसे बड़ी झुग्गी-झोपड़ी का इलाका भी है।

विशेषज्ञों के यह विचार निश्चित ही स्वागतयोग्य है। इन पर अमल किया जाना चाहिए। प्लाइवुड उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि धारावी हो या फिर हर शहर में बनी झोपड़पट्टी। हमें वहां निर्माण की संभावना तलाशनी होगी। यदि सरकार और नीति निर्माता इस ओर ध्यान देते है तो निश्चित ही यह योजना बहुत ही कारगर साबित हो सकती है। क्योंकि इससे न सिर्फ हम झुग्गी झोपड़ी की समस्या से निपट सकते हैं, बल्कि वंचित लोगों को अच्छा घर भी उपलब्ध करा सकते हैं। यूं भी निर्माण सेक्टर देश में बड़े रोजगार देने वाला सेक्टर है। यदि इस सेक्टर में काम होता है तो इसका असर बाकी सेक्टर पर भी आयेगा। जो हमें इस मंदी और नैराश्य के माहौल से बाहर निकलने में मदद देगा।