वस्तु एवं सेवा कर खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने कंपनियों के प्रमोटरों, निदेशकों और शीर्ष प्रबंधन को 300 से अधिक कारण बताओ नोटिस भेजे हैं। इसमें गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने पर 100 प्रतिशत तक का जुर्माना की भी मांग की गई है।

वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए अगस्त के पहले सप्ताह में शीर्ष प्रबंधन को भेजे गए इन नोटिसों को प्राप्तकर्ताओं द्वारा पहले ही चुनौती दी जा रही है, जिन्होंने रोक लगाने की मांग करते हुए विभिन्न उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाया है।

कर अधिकारियों का कहना है कि केवल उन मामलों में नोटिस भेजे गए, जिनमें गलत तरीके से आईटीसी का लाभ उठाने में प्रबंधन की भूमिका स्पष्ट रूप से स्थापित हो गई थी। सभी नोटिस केंद्रीय जीएसटी अधिनियम की धारा 122 (1ए) के तहत भेजे गए थे और कोई भी इसका विरोध या जवाब दे सकता है।

2020 में लागू सीजीएसटी अधिनियम की धारा 122 (1ए) में कहा गया है कि जो लोग कर चोरी की सुविधा देते हैं या माल या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना चालान जारी करने में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेते हैं, सहायता करते हैं या प्रोत्साहित करते हैं, तो उन्हें कर चोरी की गई राशि या प्राप्त किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के बराबर जुर्माना देना पड़ता है।

एक मामले में, कर अधिकारियों ने कंपनी के प्रबंध निदेशक पर 102 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है, जो कंपनी द्वारा की गई कर चोरी की राशि के बराबर है।

उद्योग कर अधिकारियों के रुख से असहमत है। उनका तर्क है कि व्यक्तियों पर व्यक्तिगत दंड केवल विशिष्ट अपवादात्मक परिस्थितियों में तथा अत्यंत दुर्लभ मामलों में लगाया जा सकता है, जहां कर धोखाधड़ी से लाभ प्राप्त करने का इरादा पूर्णतः स्थापित हो।

इसे कंपनियों या फर्मों के वरिष्ठ अधिकारियों (जैसे प्रबंध निदेशक, सीईओ, सीएफओ, साझेदार आदि) को परेशान करने का साधन नहीं बनना चाहिए, जब तक कि स्पष्ट संकेत न हो कि उनके कहने पर एक निर्दिष्ट धोखाधड़ी वाला लेनदेन किया गया है और उन्होंने सीधे तौर पर ऐसे लेनदेन का लाभ उठाया है।