भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) एक मजबूत और स्थिर वित्तीय प्रणाली सुनिश्चित कर रहा है जो देश की आर्थिक प्रगति के लिए आधार के रूप में कार्य करेगी, गवर्नर शक्ति कांत दास ने अस्थिर वैश्विक माहौल में घरेलू लचीलेपन को बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक के प्रयासों को रेखांकित किया।

“आज की दुनिया में, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी, नवाचार, व्यावसायिक प्रथाओं और वित्तीय क्षेत्र में बढ़ती जटिलताओं के क्षेत्र में तेजी से बदलाव को देखते हुए, रिजर्व बैंक लगातार उभरते रुझानों का मूल्यांकन कर रहा है और इसके साथ तालमेल बनाए रखने के लिए आवश्यक नीतिगत उपाय कर रहा है।’’ दास ने आरबीआई के 90वें स्मरणोत्सव समारोह में कहा।

दास ने कोविड-19 महामारी और विभिन्न भू-राजनीतिक संकटों की उथल-पुथल के बीच अपनाई गई ष्अच्छी तरह से कैलिब्रेटेड और समन्वितष् मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संतुष्टि की बात है कि भारत मजबूत जीडीपी विकास दर और घटी हुई मुद्रास्फीति का अनुभव कर रहा है जबकि विदेशी मुद्रा भंडार सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर है। केंद्रीय बैंक प्रमुख ने भारत के स्थिर वित्तीय क्षेत्र और लचीले बाहरी क्षेत्र पर भी जोर दिया।

आरबीआई की यात्रा को याद करते हुए, दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक मुख्य रूप से दुर्लभ संसाधनों के आवंटन की चिंता से आरंभ हुए हुए सफर के बाद अब बाजार अर्थव्यवस्था के लिए एक संबल बन गया है। उन्होंने दिवाला और दिवालियापन संहिता और लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को अपनाने सहित कई सुधारों को सूचीबद्ध किया, जिसने बैंकिंग प्रणाली को मजबूत किया और उपभोक्ता मूल्य दबाव पर लगाम लगाने में मदद की।


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