कर विभाग के अधिकारियों की भी जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए
- नवम्बर 15, 2024
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कर अधिकारी आमतौर पर अधिकांश करदाताओं को कर अपवंचक ही मानते हैं, जैसी की उनके द्वारा कर धन वापसी में बिलंब करने से परिलक्षित होता है।
किसी भी अधिकारी के कर जुटाने का लक्ष्य कर का पाँचवाँ हिस्सा होता है। देरी से रिफंड करने पर विभाग को लाभ होता है। भले ही करदाता अंततः जीत भी जाते हैं।
प्रति माह केवल आधा प्रतिशत साधारण ब्याज (करदाताओं द्वारा देरी से भुगतान करने पर लगाए जाने वाले एक प्रतिशत साधारण ब्याज के विपरीत) के साथ रिफंड प्राप्त करने के लिए लगातार कार्रवाई की आवश्यकता होती है और इसमें कई बार पाँच साल से अधिक समय लग सकता है।
2020 में पहली अपील प्रक्रिया को राष्ट्रीय फेसलेस अपीलीय केंद्र में स्थानांतरित करने से देरी और बढ़ गई है, तब से कुछ ही अपीलों का समाधान हुआ है।
सरकार ने आयकर अधिनियम में करदाताओं का चार्टर पेश किया है, लेकिन इससे करदाताओं को ज्यादा लाभ होता नजर नहीं आ रहा है।
जब कर चोरी बड़े पैमाने पर थी, तब करदाता अपेक्षाकृत कम मुखर थे। लेकिन जैसे ही कर सिस्टम मजबूत हुआ, कर सूचना नेटवर्क ने अधिकांश कर चोरी के रास्ते बंद कर दिए हैं। इससे पहले तो सिर्फ वेतनभोगी ही नियमित कर दे रहे थे। अब तेजी से स्वरोजगार करने वाले करदाता भी नियमित हो रहे हैं।
अब क्योंकि करदाताओं के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए अब यदि उनके साथ कुछ भी गलत होता है तो वह इसका जम कर विरोध भी करते हैं। जैसा कि लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर कर के प्रावधान को वापस लेने के मामलों में होने वाली बहस में देखा जा सकता है। सरकार को भी इस पर ध्यान देना पड़ रहा है, जैसा कि प्रावधान मेें राहत देने से स्पष्ट हो रहा है।
बजट में प्रस्तावित कर कोड सरलीकरण कर विभाग में जवाबदेही स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है। इसके लिए एक मॉडल भारतीय राज्यों द्वारा अपनाए गए लोक सेवा गारंटी खातों (पीएसजीए) में मौजूद है। पीएसजीए से प्रमाण पत्र, राशन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने जैसी सेवाओं के लिए समय सीमा निर्धारित हैं। वे एक अपील प्रक्रिया स्थापित करते हैं और देरी के लिए अधिकारियों को जवाबदेह ठहराते हैं। यदि किसी भी जिम्मेदार की लापवाही सामने आती है तो, उन पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इस जुर्माने की राशि पीड़ित पक्ष को मुआवजे के तौर पर दी जाती है।
सच कहा जाए तो, करदाताओं का राजनीतिक प्रभाव बहुत कम है, क्योंकि 140 करोड़ की आबादी में वे सिर्फ दो करोड़ हैं। हालांकि, वे मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखते हैं और महत्वपूर्ण राय बनाने वाले हैं।
कर विभाग की निष्पक्षता के बारे में करदाताओं की धारणा सरकार के बारे में उनकी धारणा बनाती है। सरकार को करदाताओं के चार्टर को लागू करते समय यह बात याद रखनी चाहिए। क्योंकि इससे सरकार की छवि भी जुड़ी होती है।