Avdhesh Jain

Opportunity in adversity


Demand for MDF has increased in new areas in lockdown


Finding opportunity in adversity is just not a myth. It can happen not only in ​​MDF or particle board but in every area. We have to find out such opportunities. This is the belief of Avdhesh Jain, GM, Action Tesa. In a conversation with The Ply Insight, he told that there is increase in the demand for MDF in the lockdown. He cited an example that before the lockdown, there was almost no use of study tables in homes. But every student or those who are working from home required their personal table during the lockdown. It definitely created a demand. This demand is fresh. Moreover this is different from the traditional demand. This new demand has pushed everyone in the panel industry. This narrated a boost in demand not only in the MDF sector but in every panel sector.

Effects of flood in demand.
Heavy rain is seen in Himachal, Bihar and almost all over India. But normaly floods are outside the urban areas. That’s why the demand is not affected in a big way. We are expecting that the demand will increase by five to ten percent in these coming months as compared to the previous month.

But demand of plywood is sluggish.
There is no doubt that the demand for MDF is growing faster than other panel products. A-Small units play a vital role in plywood sector whereas the overall market is too large to handle. That’s why everyone is not benefitted in an identical way. Although there must be demand for ply in the market, it is possible that the market demand is currently being met through the existing stock of dealer/distributor. As because the cash flow in the market is tight now. That’s why they may not be enthusiastic on maintaining buffer stock. But it is not that the demand for plywood is less. Because the demand has not increased only for MDF, rather we can say plywood is the most popular and easy to reach panel product in the market.

Perhaps the demand for the particle board has not increased that much. Because particle board is used in commercial furniture, Whose largest market is IT sector. Work from home is still going on in the sector.

Prices of raw material is increasing continously.
Cost of raw material is increasing in every segment. MDF is also facing the same heat. The price of each raw material has been increased in June and July. This time we are also not in a position to increase the rate. We have recently increased the price of only two products 1.9/2.1 by five percent, its effect was visible although the rates are accepted. Several orders were cancelled. Earlier where we had pending orders for six months. By the way, cancelation of the order is not a good sign in the buisness. But it might create a healthy culture in the future. Where we can say the working will be in a regular way.

Future expectation.
The demand for our regular products is ideal and supply is also improving. Demand for some of our product is less, but other products compensate it. It does not affect the turnover.

The demand for some products keeps on changing. For example, plywood is already used in making beds, it was tried in MDF for a while, now it has been shifted to ply again. Because we are unable to supply regularly the size of 6.25ft and 6.50ft. If we move for small sizes the extra burden of overheads make it infeasible. That’s why we opt for regular sizes only.


आपदा एक अवसर

लॉकडाउन में एमडीएफ की नई क्षेत्रों में डिमांड बढ़ी है



आपदा एक मौका भी देता है। यह सिर्फ एमडीएफ या फिर पार्टिकल बोर्ड के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र में हो सकता है। जरूरत इस बात की है कि इस तरह के मौके को तलाशा जाए। यह मानना है एक्शन टेसा के जी एम अवधेश जैन का। द प्लाई इनसाइ ट से बातचीत में उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में एमडीएफ की डिमांड बढ़ी है। इसका उदाहरण उन्होंने इस तरह से दिया कि लॉकडाउन से पहले अक्सर घरों में स्टडी टेबल का उपयोग कम होता था। लेकिन लॉकडाउन के दौरान हर पढ़ने या घरों से काम करने वाले को अपनी टेबल चाहिए। इससे निश्चित ही डिमांड आई है। यह डिमांड फ्रेश है। यह पारंपरिक डिमांड से अलग है। यह डिमांड जो जनरेट हो रही है,इसका पेनल उद्योग में सभी को लाभ हो रहा है। यह अकेले एमडीएफ क्षेत्र में ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र में बढ़ती डिमांड का सूचक है।

बाढ़ से मांग में प्रभाव
हिमाचल ,बिहार एवं भारत के प्रायः सभी स्थानों में बरसात हो रही है। लेकिन जहां बाढ़ का प्रकोप है, वह सामान्यता शहरी क्षेत्रों के बाहर है। इस वजह से मांग ज्यादा प्रभावित नहीं हो रही है। हम तो यह उम्मीद कर रहे हैं कि इन आने वाले महीनों में पिछले माह की तुलना में पांच से दस प्रतिशत डिमांड बढ़ कर आएगी।

लेकिन प्लाईवुड में मांग की कमी दिख रही है
इसमें कोई दो राय नहीं है कि अन्य पेनल उत्पाद के मुकाबले एमडीएफ की मांग तेजी से बढ़ रही है। प्लाई में क्योंकि छोटे प्लेयर अधिक हैं, और सेक्टर बहुत बड़ा है। इस वजह से सभी को एक जैसा लाभ नहीं मिल रहा है। हालांकि मार्केट में निश्चीत ही प्लाई की डिमांड है, लेकिन शायद हो यह रहा है कि मार्केट की डिमांड फिलहाल, डीलर डिस्ट्रीब्यूटर के मौजूद स्टाक से पूरी हो रही है। क्योंकि बाजार में कैश फ्लो अभी उतना सही नहीं है। इसलिए अपने स्टाक को बढ़ाने में उत्साहित नहीं है। ऐसा नहीं है कि प्लाइवुड की डिमांड कम है। क्योंकि डिमांड सिर्फ एमडीएफ की नहीं बढ़ी है। बल्कि प्लाईवुड तो सबसे अधिक प्रचलित पेनल उत्पाद है।

शायद पार्टिकल बोर्ड की डिमांड उतनी नहीं बढ़ पाई है। क्योंकि कमर्शियल फर्नीचर में पार्टिकल की ज्यादा जरूरत है। जिसकी सबसे बड़ी मार्केट आईटी कंपनी है। जहां अभी भी घरों से काम चल रहा है।

रॉ मटेरियल के रेट लगातार बढ़ रहे हैं
रॉ मटेरियल की कास्ट तो सभी सेक्टर में बढ़ रही है। एमडीएफ में भी इस तरह की दिक्कत आ रही है। जून और जुलाई में हर रॉ मैटेरियल की कीमत बढ़ गई है। इस बार हम भी रेट बढ़ाने की स्थिति में ज्यादा नहीं है। हमने सिर्फ दो उत्पाद 1.9/ 2.1 की कीमत पांच प्रतिशत बढ़ाई, तो इसका असर आना शुरू हो गया। कई आर्डर कैंसिल हो गए हैं। पहले जहां हमारे पास छह माह के आर्डर थे। वैसे तो ऑर्डर कैंसिल होना अच्छी बात नहीं है। लेकिन यह शायद भविष्य के लिए अच्छा हो। जहां अब काम नियमित तरीके से होने लगेगा।

भविष्य में माँग की सम्भावना
हमारे नियमित उत्पादों की डिमांड बरकरार है,इसकी सप्लाई भी ठीक हो रही है। हमारे कुछ उत्पाद है,जिनकी डिमांड कुछ कम है,लेकिन दूसरे उत्पाद इसे मिटआउट कर लेते हैं। इसका टर्नओवर पर असर नहीं पड़ता।

कुछ उत्पादों की डिमांड अदला बदली होती रहती है। मसलन बेड बनाने में पहले से प्लाईवुड का प्रयोग होता है,लेकिन बिच में वह एमडीएफ पर आ गए थे, अब फिर प्लाई पर जा रहे हैं। हम वह साइज उन्हें नहीं दे पा रहे हैं, जो उन्हें चाहिए। क्योंकि हम सवा छह और साढ़े छह का साइज नहीं दे सकते हैं। यदि छोटा बनाते हैं, तो हम लागत नहीं निकाल पाते। हम रेगुलर साइज ही दे सकते हैं।