तीसरी पीढ़ी के पष्चात् पारिवारिक उद्यम
- नवम्बर 15, 2024
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दुनिया में कहीं भी बहुत कम पारिवारिक स्वामित्व वाली फर्म तीन पीढ़ियों से ज़्यादा चलती हैं। स्वर्गीय एंड्रयू कार्नेगी, जिन्होंने यूएस स्टील का निर्माण किया और कुछ समय के लिए दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए थे, ने इसके लिए एक मुहावरा गढ़ा था ‘शर्टस्लीव्स (शुरू) से शर्टस्लीव्स (अंत) तक पहुँचने में तीन पीढ़ियाँ लगती हैं। अन्य देशों में भी ऐसी ही मिलती-जुलती कहावतें हैं।
धारणा यह है कि पहली पीढ़ी मेहनत व्यवसाय शुरू करती है, दूसरी पीढ़ी इसे आगे बढ़ाती है, जबकि परिवार की तीसरी पीढ़ी विरासत को बरबाद (शुन्य या नगन्य) कर देती है।
क्या गलत होता है और एक पारिवारिक स्वामित्व वाला उद्यम तीन पीढ़ियों से ज़्यादा कैसे फल-फूल सकता है? भारत में विशेष रूप से परिवार के स्वामित्व वाले और चलाए जाने वाले छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों के लिए दीर्घायु कैसे सुनिश्चित करें। वे मध्यम आकार के उद्यम से बड़े व्यवसाय में कैसे विकसित हो सकते हैं।
कुछ मामलों में, परिवार की दूसरी और तीसरी पीढ़ी संस्थापक द्वारा शुरू किए गए मुख्य व्यवसाय को आगे बढ़ाकर और आस-पास के क्षेत्र को समाहित कर आगे बढ़ी है, जबकि अन्य में एक तीव्र बदलाव हुआ है।
कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं - परिवार के सदस्यों में महत्वाकांक्षा तो होती है, लेकिन क्षमता नहीं होती, या फिर वे समस्याएं जो तब सामने आती हैं जब किसी पेशेवर को समूह का प्रभार दिया जाता है।
कभी-कभी, एक बेहतरीन दक्षता होने के बावजूद, एक पेशेवर आशातीत काम नहीं कर पाता। यह उद्यमी या परिवार के सदस्यों की गलती हो सकती है जो पूरी तरह से खुद को समर्पित नहीं कर पाते। या यह भी हो सकता है कि पेशेवर को बहुत अलग माहौल में काम करने की आदत थी और अपनी सारी योग्यता और क्षमता के बावजूद, उसने नई कंपनी के चरित्र को समझने का बहुत कम प्रयास किया।
कभी-कभी, परिवार के किसी सदस्य को प्रभार दिया जाता है, लेकिन वह अयोग्य साबित होता है, लेकिन कोई नहीं जानता कि उसे कैसे हटाया जाए या उसकी भूमिका कैसे कम की जाए। अन्य मामलों में, परिवार के भीतर पीढ़ियों के विचारों और प्रबंधन शैलियों के बीच टकराव होता है।
हालांकि, आखिरकार यह इस बात पर निर्भर करता है कि संस्थापक या परिवार के सदस्य सबक सीखने और उचित समाधान खोजने के लिए अपने अहंकार को किनारे रखने के लिए कितने इच्छुक हैं। आखिरकार, अहंकार, व्यक्तित्व, महत्वाकांक्षाएं और क्षमताएं ही हैं जो अक्सर तीसरी पीढ़ी के कार्यभार संभालने तक व्यवसाय को नगन्य कर देती हैं।