narendra bafna

Can the market accept plywood without face?

Cheaper face in being used in today’s date. Because the face is getting expensive. Because of this cost of production is increasing. To reduce the cost quality is being compromised at one level or the other. Either the quality of the face is being compromised in plywood, or with the material inside. Plywood producers have to re think. At present the Plywood units are not organized, hence the problem. Try to promote without face. Should think about this. Must try because import is not so easy. Therefore such an effort must be tried. Manufactures should think about this.

Is the gurjan face still maintaining its craze?

Yes that is correct. There is a demand for gurjan face. Different verities are in demand in the Indian market. So now if the producer wants to survive in the Indian market, then he has to experiment. To improve the Indian economy, the producers have to be united and strong for Growth. Just like MDF, As anti dumping duty is imposed. This also has increased the demand for MDF in the Indian market. Similarly, the plywood industry will also have to come out with something new.

What is the status of MDF and Particle Board?

MDF and particle board producers are acting wisely in this matter. This change can be seen in Gujarat. The particle board is now shifted from Bagasse towards wood. Gradually the use of bagasse has been reduced to a minimum. Gradually eight by six and nine by six plants are also coming up. This change is good. The factories with second hand machineries from China are producing more B grade. However, there are some units which have maintained the quality. In some units, B grade material ranges from 50 to 60 percent. This spoils the market.

This is the reason why the manufacturers who are offering quality boards are in demand. Although the market for all three is different for grade A, B and C in particle board. The particle unit is also growing rapidly. There is every possibility of growth in MDF in the coming period. Whoever gives good quality in MDF will be able to survive better.

Market situation after the announcement of rate increase by the producers?

It still looks a bit difficult. Because every producer is ready to offer credit. Trying to sell his product in the market by any means. it Should have been everyone has a monopoly. According to his quality. But it doesn’t seem to be possible. This is what happened in MDF. But it is not visible in plywood.

There is a crisis of trust in plywood. Because the producers are not attentive to the quality. By paying attention to this, the problem can be filtered to a great extent. Because quality is a major issue.

The problem for the plywood industrialist is that major part of the business is unorganized. Small units are in large numbers who are ready to provide goods even at low prices. Due to this, goods of B grade or C grade flow in the market. The dealer needs his margin. Therefore, he is tempted to sell such goods, to earn more profit. Therefore, the rates which is announced all operators are not able to catch on it. There are a lot of varieties in plywood. Many times it is seen that the quality is reduced whenever the prices are being increased. In this way rate implementation is not possible. New rates are not appearing to be effected in the local market. Apart from this, every factory has different pricelist. This also creates confusion in the market. The customer again shifts again towards cheaper. So quality is being compromised. No one is ready to understand this. More than 50 to 70 percent of the goods are in the lower range.

The demand for both plywood and MDF is increasing?

The problem in plywood is invisibility of the raw material used in it. It cannot be defined. There is lack of trust between the customer and the seller. This is the reason why the market for MDF and particle board is growing. The focus is on quality here. Therefore, the market of plywood is decreasing, alternatively the demand for particle board and MDF is increasing. MDF plants are fewer but the demand is increasing.


बिना फेस का प्लाईवुड


विदाउट फेस प्लाईवुड को क्या बाजार स्वीकार कर सकता है?
आज की तारीख में अधिकांश तौर पर हल्के फेस का प्रयोग हो रहा है। क्योंकि आयातित फेस महंगा हो रहा है। इस वजह से उत्पादन लागत बढ़ रही है। इसे कम करने के लिए किसी न किसी स्तर पर गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है। प्लाईवुड में कही फेस की गुणवत्ता से समझौता हो रहा है, कहीं अंदर के माल से। इसलिए प्लाइवुड उत्पादको को सोचना होगा। इस वक्त प्लाईवुड यूनिट संगठित नहीं है, इसलिए दिक्कत आ रही है। विदाउट फेस को प्रोमोट करने का प्रयास करना चाहिए। इस बारे में सोचना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि आयात में भी तो दिक्कत आ रही है। इसलिए इस तरह का प्रयास तो होना ही चाहिए। यूनिट संचालकों को इस बारे में सोचना चाहिए।

गर्जन का फेस अभी भी अपना क्रेज बनाए हुए है ?
हां यह सही बात है। गर्जन फेस की डिमांड तो हैं। बाजार हर प्रकार का है। भारतीय बाजार मे हर वेरायटी की मांग है। इसलिए अब भारतीय बाजार में यदि उत्पादक को टिकना है तो उन्हें प्रयोग करना होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए उत्पादकों को एकजुट और मजबूत होना होगा। ग्रोथ बढ़ाना होगा। ठीक एमडीएफ की तरह। जिस तरह से एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाया है। इससे भी भारतीय बाजार में एमडीएफ की मांग बढ़ गई। इसी तरह से प्लाइवुड इंडस्ट्री को भी कुछ नया करना होगा।

एमडीएफ और पार्टीकल बोर्ड की क्या स्थिती है ?
एमडीएफ एवं पार्टीकल बोर्ड उत्पादक इस मामले में समझदारी से काम ले रहे हैं। गुजरात में यह बदलाव देखा जा सकता है। पार्टिकल बोर्ड बगास से अब वुड की ओर आ रहा है। अगर देखा जाए तो धीर-धीरे बगास का इस्तेमाल कम से कम हो गया है। अब धीरे-धीरे आठ बाइ सिक्स और नाइन बाइ सिक्स के प्लांट भी आ रहे हैं। यह बदलाव अच्छा है। जिन फैक्ट्रीयों नें चाइना के सेकंड हैंड प्लॉट ले रखे हैं, वंहा बी का उत्पादन ज्यादा हो रहा हैं। हालांकि कुछ यूनिट ऐसे हैं, जो गुणवत्ता बनाए हुए हैं। लेकिन कई जगह तो बी ग्रेड 50 से 60 प्रतिशत तक है। इससे बाजार अस्त-व्यस्त होता है।

यहीं वजह है कि जो उत्पादक गुणवत्ता वाला बोर्ड दे रहे हैं, उनकी हमेशा डिमांड रहती है। हालांकि पार्टिकल बोर्ड में ग्रेड ए,बी और सी, तीनों का बाजार अलग-अलग है। पार्टिकल यूनिट भी तेजी से बढ़ रही है। एमडीएफ में भी आने वाले समय में ग्रोथ होने की पूरी संभावना है। एमडीएफ में भी जो अच्छी क्वालिटी देगा वह चल पाएगा।

उत्पादको द्वारा रेट बढ़ाने की घोषणा के बाद क्या स्थिती है ?
यह अभी भी थोड़ा मुश्किल नजर आ रहा है। क्योंकि हर उत्पादक उधार देने को तैयार बैठा है। वह किसी भी तरह से अपना उत्पाद बाजार मे बेचना चाह रहे हैं। होना तो यह चाहिए कि गुणवत्ता इतनी अच्छी हो कि हर किसी की मोनोपॉली हो। लेकिन यह संभव होता नजर नहीं आ रहा है। एमडीएफ में ऐसा हुआ है। लेकिन प्लाईवुड में ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।

प्लाइवुड में विश्वास का संकट आ रहा है। क्योंकि उत्पादक गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दे पा रहे। यदि वह इस ओर ध्यान दे तो बहुत हद तक दिक्कत दूर हो सकती है। क्योंकि क्वालिटी का मुद्दा बड़ा है।

प्लाईवुड उद्योगपति के लिए दिक्कत यह है कि यह पूरा व्यापार असंगठित है। छोटे यूनिट बहुत ज्यादा है। वह कम दाम पर भी माल उपलब्ध कराने से नहीं चूकते। इससे बाजार में बी ग्रेड या सी ग्रेड का माल आ जाता है। डीलर को भी अपना मार्जन चाहिए। इसलिए वह भी इस तरह के माल को बेचना चाहते हैं, जिससे ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। इसलिए जो रेट निर्धारित किए जाते हैं, सभी यूनिट संचालक इस पर टिक नहीं पाते। प्लाईवुड में वैरायटी बहुत ज्यादा है। कई बार बोल दिया जाता है कि दाम बढ़ाए जा रहे हैं,लेकिन क्वालिटी कम कर दी जाती है। इस तरह से रेट इंप्लीमेंट नहीं हो पाता। स्थानीय बाजार में रेट बढ़ता नजर नहीं आता। इसके अलावा हर फैक्टरी का रेट अलग है। इससे भी बाजार में असमंजस की स्थिती बन जाती है। कस्टमर भी फिर सस्ते की बात पर आ जाता है। इसलिए क्वालिटी से समझौता हो रहा है। कोई यह बात समझने को तैयार नहीं है। 50 से 70 प्रतिशत से भी ज्यादा लोअर रेंज का माल बिक रहा है।

प्लाईवुड और एमडीएफ दोनों की मांग बढ़ रही है ?
प्लाइवुड में दिक्कत यह भी है कि इनमें कच्चा माल क्या क्या लगा है? यह पता नहीं चल पाता। कस्टमर और विक्रेता के बीच विश्वास का संकट है। यहीं वजह है कि एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड का मार्केट ग्रोथ हो रहा है। यहां गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा रहा है। इसलिए प्लाईवुड का बाजार कम हो रहा है,इसकी जगह पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ की मांग बढ़ रही है। एमडीएफ के प्लांट कम है, लेकिन मांग बढ़ रही है।