उच्चतम न्यायालय ने एक फैसले में वाणिज्यिक रियल एस्टेट को बड़ी राहत दी है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिल सकता है। न्यायालय ने पट्टे (या किराय) पर दी जाने वाली वाणिज्यिक इमारत के निर्माण पर आने वाले खर्च पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे के आवेदन को मंजूरी दे दी है।

‘‘अगर किसी भवन का निर्माण सेवाओं की आपूर्ति जैसी गतिविधियों जैसे उसे किराये पर देने या पट्टे पर देने या भवन या उसके किसी हिस्से को अन्य लेनदेन के लिए किया जाता है, जो जीएसटी अधिनियम के शेड्यूल II के क्लॉज (2) और (5) में आता है, तो उस इमारत को संयंत्र माना जा सकता है, ‘‘ न्यायमूर्ति अभय एस ओका और संजय करोल के पीठ ने कहा।

अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नियम से व्यावसायिक किरायेदारों का बोझ कम होगा। इससे रियल एस्टेट कंपनियों को फायदा होगा क्योंकि ऐसी इमारतों को संयंत्र और मशीनरी की श्रेणी में माना जाएगा। इसके साथ ही यह लाभ वाणिज्यिक रियल एस्टेट तक सिमटा नहीं होगा, बल्कि विभिन्न उद्योग भी वाणिज्यिक संपत्ति के किराये पर आईटीसी का दावा कर सकेंगे।

इस निर्णय का असर होटलों, बुनियादी ढांचे और वेयरहाउसिंग सहित लॉजिस्टिक्स पर पड़ सकता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण-संबंधी खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट से संबंधित प्रतिबंधों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है, यह माना जा रहा है कि भवन प्लांट या मशीनरी है या नहीं, इसकी जांच केस-टू-केस आधार पर की जानी चाहिए।

 जीएसटी परिषद के लिए यह समझदारी होगी कि वह रियल एस्टेट खिलाड़ियों को किराये की आय पर आईटीसी का दावा करने की अनुमति देते हुए स्पष्टीकरण जारी करे।

कर विशेषज्ञों ने बताया कि सवाल यह था कि क्या यह फैसला फैक्ट्री बिल्डिंग, जेटी, स्टोरेज टैंक आदि पर लागू होगा।

मामले की पृष्ठभूमि

सफारी रिट्रीट्स के मामले में, एक मॉल मालिक ने उड़ीसा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कहा गया कि जब दुकानों के लिए वाणिज्यिक किराये की सेवाएं प्रदान करने के लिए एक मॉल बनाया जा रहा था, तो निर्माण पर लगने वाले जीएसटी के लिए इनपुट क्रेडिट सेट-ऑफ लेने पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। उड़ीसा हाईकोर्ट ने इस तर्क को बरकरार रखा, लेकिन जीएसटी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।

विशेषज्ञों के अनुसार, सबसे बड़ी सकारात्मक बात यह है कि अदालत ने माना है कि सिविल संरचनाओंध्अचल संपत्ति के निर्माण पर होने वाले जीएसटी लागत के इनपुट क्रेडिट सेट-ऑफ पर कोई व्यापक प्रतिबंध नहीं है, खासकर जब उक्त संरचना स्वयं संबंधित आउटपुट सेवाएं प्रदान करने के लिए ही बनाई जा रही है।