SEZ units may get more sops soon
- अक्टूबर 2, 2021
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The government is considering a proposal to allow units in special economic zones (SEZs) to sell goods outside these zones in the country with concessional duties to help them utilize idle capacities. With this incentive, manufacturers in SEZs that have spare capacity will be able to boost production.
SEZs are areas within the country that have different economic regulations and are considered foreign territory. They not only aid foreign investment, but are export hubs. Companies operating in such zones get tax sops from the government and also pay lower tariffs when the goods are exported and not sold outside these zones.
At present, SEZs pay full Customs duty in case a product is sold outside these zones. The council has urged the government to allow the sale of goods in the DTA zone. Duty will be charged only on the basis of raw material cost and exclude the value addition done in India.
एसईजेड को मिल सकती है छूट
सरकार विशेश आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में स्थित इकाइयों को देश में इन क्षेत्रों के बाहर वस्तुओं की बिक्री की अनुमति देने पर विचार कर रही है। ऐसा करने पर कंपनियां देश के भीतर रियायती शुल्क पर वस्तुओं की बिक्री कर सकेंगी। इसका मकसद इन कंपनियों की क्षमता का पूरा इस्तेमाल करने में मदद करना है।
इस प्रोत्साहन के बाद एसईजेड में स्थित विनिर्माता अपनी क्षमता का इस्तेमाल उत्पादन बढ़ाने में कर सकेंगे। देश के भीतर एसईजेड ऐसे क्षेत्र होते हैं, जहां अलग आर्थिक नियम लागू होते हैं और उन्हें विदेशी क्षेत्र की तरह माना जाता है। यहां न सिर्फ विदेशी निवेश आता है, बल्कि ये निर्यात के बड़े केंद्र भी होते हैं। इस तरह के क्षेत्रों मंे काम करने वाली कंपनियां सरकार से कर छूट पाती हैं। साथ ही जब वस्तुओं का निर्यात किया जाता है, इन क्षेत्रों के बाहर नहीं बेचा जाता है, तो उन्हें कम शुल्क देना पड़ता है।
इस समय अगर एसईजेड की इकाइयां इस क्षेत्र के बाहर अपने उत्पाद की बिक्री करती हैं तो उन्हें पूर्ण सीमा शुल्क का भुगतान करना पड़ता है, जिन्हें डीटीए के रूप में जाना जाता है। परिशद ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह डीटीए क्षेत्र में वस्तुओं की बिक्री की अनुमति दे, शुल्क सिर्फ कच्चे माल की लागत के आधार पर लिया जाए और इसमें भारत में किया गया मूल्यवर्धन शामिल नहीं हो।