Editorial 2021

The economic scenario worldwide is changing very fast. The socio economic equation has demolished all the rules of trade, starting from the pandemic and now Russia Ukraine War. It should be wished to be stable in the next one or two years.



GST has reduced the complexities of indirect taxes to a great extent in the last five years. A single tax system in place of several types of central and state taxes and cesses. Apart from this, the problems of working smoothly due to different taxes in different states. With the introduction of GST, the work of businessmen and tax consultants became easier. This reduced tax evasion and increased number of taxpayers by more than double and collection of the annual indirect tax rose more than one and a half times. The same trend was also seen in filing of income tax returns.

Being a complete new & fresh digital system, never ending technical glitches were seen regularly in its path. But either solution or concession was provided to accommodate.

Although the working system of the businessmen continued to improve, but the fraudsters did not leave any stone unturned to find new ways of committing fraud. And to curb them the system is becoming more and more strict.

However, still half of the merchants keep criticizing for its shortcomings. But no one denies that business has been simplified with the introduction of GST. And the opportunity to grow the business and enthusiasm is created again.

The shortage of timber in raw materials is increasing, which will diminish in the next two to three years, until a new crop comes. On the other hand, suddenly the Increased cost of technical grade urea has shook the industry.

The economic scenario worldwide is changing very fast. The socio economic equation has demolished all the rules of trade, starting from the pandemic and now Russia Ukraine War. It should be wished to be stable in the next one or two years.

We have to overcome short-term problems such as urea, but special attention will have to be paid to long-term problems of consistent and sustainable supply of timber.

What if all plywood manufacturers start thinking of setting up MDF units?
The strategy of working should not be confined to just our generation, leaving all the upcoming hassles to be dealt by new generation. The management strategy should be such that the new generation, do not have to face the same entanglements, which we are facing, in their future carrier.

Or trust the new generation and cooperate with them carefully, under your guidance, to change the entire eco-system.

Suresh Bahety
9050800888



विश्व पटल पर आर्थिक परिदृश्य बड़ी तेजी से बदल रहा है। पहले महामारी और अब रूस यूक्रेन युद्ध से बदलते हुए सामाजिक आर्थिक समीकरण ने व्यापार के सारे नियमों को ध्वस्त कर दिया है। यह अगले एक दो सालों में स्थिर हो जाये इसकी कामना करनी चाहिए।



जीएसटी ने बीते पांच सालों में अप्रत्यक्ष करों की जटिलताएं काफी हद तक कम कर दी है। कई तरह के केंद्रीय और प्रादेशिक कर और उपकरों की जगह एक कर प्रणाली। इसके अलावा विभिन्न प्रदेशो में अलग- अलग करों से व्यापार को सुचारु रुप से करने की दिक्कतें। GST के आने से कारोबारियों और कर सलाहकारों का काम आसान हो गया। इससे टैक्स चोरी घटी और करदाताओं की संख्या दो गुनी से भी अधिक हो गयी और सालाना अप्रत्यक्ष कर अपेक्षाकृत डेढ़ गुणा से भी अधिक हो गया। यही रुझान आयकर रिटर्न दाखिल करने में भी देखा गया।

बिल्कुल नयी कार्य प्रणाली वह भी डिजिटल होने की वजह से इसमें नित नयी समस्याएँ रहीं लेकिन उनका समाधान या उनमे रियायत भी मिलती रही। हालाँकि कारोबारियों की कार्य प्रणाली में लगातार सुधार होता रहा पर, कर वंचको ने भी धोखाधड़ी करने के नित नए तरीके खोजने में कसर नहीं छोड़ी और इसी वजह से प्रणाली लगातार और अधिक सख्त बनता जा रहा है।

हालाँकि अभी भी आधे व्यापारी इसमें कमियां निकालते हुए इसकी आलोचना करते रहते हैं. लेकिन इस बात से कोई भी इन्कार नहीं करता की GST आने से व्यापार का सरलीकरण हुआ है. और कारोबार को उन्नत करने का अवसर और उत्साह एक बार फिर बना है।

कच्चे माल में लकड़ी की कमी बढ़ती जा रही है जोकि अगले दो तीन साल रहेगी, जब तक नयी फसल नहीं आती। उधर अचानक ही टेक्नीकल ग्रेड यूरिया की बढ़ी हुई लागत ने भी उद्योग को हिलाकर रख दिया है।

विश्व पटल पर आर्थिक परिदृश्य बड़ी तेजी से बदल रहा है। पहले महामारी और अब रूस यूक्रेन युद्ध से बदलते हुए सामाजिक आर्थिक समीकरण ने व्यापार के सारे नियमों को ध्वस्त कर दिया है। यह अगले एक दो सालों में स्थिर हो जाये इसकी कामना करनी चाहिए।

अल्पावधि की समस्याओं, जैसे यूरिया से, तो हमें पार पाना ही है लेकिन दीर्घकालिक समस्याओं जैसे लकड़ी की टिकाऊ और चिर-स्थायी आपूर्ति पर भी विशेष ध्यान देना होगा।

क्या होगा अगर सारे प्लाईवुड निर्माता एम डी एफ की इकाई लगाने की सोचने लगे?
रणनीति का मकसद यह नहीं होना चाहिए कि जब तक मैं रहुँ, सब ठीक रहे, उसके बाद जो हो आने वाली पीढ़ी समझे। भविष्य के लिए प्रबंध ऐसा होना चाहिए कि जो नयी पीढ़ी नेतृत्व करने के लिए आए, उन्हें वैसी उलझनें न झेलनी पड़े, जैसी आपने झेली।

या फिर नयी पीढ़ी पर भरोसा करें और उन्हें व्यवस्था परिवर्तन में सावधानी पूर्वक, अपने मार्गदर्शन में, सहयोग करें।

सुरेश बाहेती
9050800888