Indian industry

Many Indian companies, affected by declining cash flows and weak demand, are approaching their investment bankers to accelerate asset sales in an effort to avoid the effects of the current epidemic. Companies with large debt are feeling more pressure, as their financial costs remain high amid weak cash flows.

Expert say that as the economic recovery looks uncertain in the near future, corporate revenues are expected to fall by 16 percent in the current financial year, which will boost asset sales.

Future Group to Reliance Retail is a prime example of how zero cash flow during the Corona epidemic has boosted asset sales.

Besides cash-rich Reliance Industries, which has sold stakes in its telecom and retail ventures at high valuations, GMR, Piramal Enterprises, Emami and real estate company RMZ have also sold stake or assets to reduce their debt.

Talking about the major deals, it is learned that GMR sold 49 percent stake in its airport holding company to France’s Group ADP for R10,780 crore. At the same time, GVK Group sold its Mumbai airport project to Adani Group. Piramal Group sold a 20 per cent stake in its pharma unit to private equity firm Carlyle for R3,523 crore earlier this month.

Companies awaiting better valuations are now ready to do the deal, as they have to repay the loan. More influence has been shown on mid-sized companies, which are suppliers of other companies.


महामारी से भारतीय उद्योग जगत की परिसंपत्ति बिक्री बढ़ी


बड़े कर्ज वाली कंपनियां ज्यादा दबाव में हैं।

नकदी प्रवाह में गिरावट और कमजोर मांग से प्रभावित कई भारतीय कंपनियां मौजूदा महामारी के प्रभाव से बचे रहने के प्रयास में परिसंपत्तियों की बिक्री में तेजी लाने के लिए अपने निवेश बैंकरों से संपर्क कर रही हैं। बड़े कर्ज वाली कंपनियां ज्यादा दबाव महसूस कर रही हैं, क्योंकि उनकी वित्तीय लागत कमजोर नकदी प्रवाह के बीच ऊंची बनी हुई हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि निकट भविष्य में आर्थिक सुधार अनिश्चित लग रहा है और काॅरपोरेट राजस्व में चालू वित्त वर्ष में 16 प्रतिशत तक की की गिरावट आने की आशंका है जिससे परिसंपत्तियों की बिक्री में तेजी आएगी।

फ्यूचर ग्रुप द्वारा रिलायंस रिटेल को परिसंपत्तियों की बिक्री इसका मुख्य उदाहरण है कि कोरोना महामारी के दौरान शून्य नकदी प्रवाह की वजह से किस तरह से परिसंपत्तियों की बिक्री को बढ़ावा मिला है।

स्वयं अपने दूरसंचार और रिटेल उद्यमों में महंगे मूल्यांकन पर हिस्सेदारी बेच चुकी नकदी संपन्न रिलायंस इंडस्ट्रीज के अलावा, जीएमआर, पीरामल एंटरप्राइजेज, इमामी और रियल एस्टेट कंपनी आरएमजेड जैसे अन्य समूहों ने भी अपने कर्ज घटाने के लिए हिस्सेदारियां या परिसंपत्तियां बेची हैं।

प्रमुख सौदों की बात की जाए तो पता चलता है कि जीएमआर ने अपनी एयरपोर्ट होल्डिंग कंपनी में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी 10,780 करोड़ रुपये में फ्रांस के ग्रुप एडीपी को बेची। समान समय में, जीवीके ग्रुप ने अपनी मुंबई हवाई अडड्ा परियोजना अदाणी समूह को बेची। पीरामल ग्रुप ने अपनी फार्मा इकाई में 20 प्रतिशत हिस्सा इस महीने के शुरू में 3,523 करोड़ रुपये में निजी इक्विटी फर्म कार्लाइल को बेचा था।

बेहतर मूल्यांकन का इंतजार कर रहीं कंपनियां अब सौदे करने को तैयार हैं, क्योंकि उन्हें ऋण चुकाने हैं। ज्यादा प्रभाव मझोले आकार की कंपनियों पर दिखा है, जो अन्य कंपनियों की आपूर्तिकर्ता हैं।’