Is The Modi Government

The Narendra Modi government has passed all the three Bills brought with the intention of major reforms in agriculture. One of these bills gives legal status to contract agriculture and the other bill makes free trade of agricultural products possible.

Another major reform in the last few days is the abolition of old labor laws. The Parliament has so far approved three Bills classifying 29 labor laws applicable in the country into four groups – remuneration, industrial relations, social security and working conditions. The remuneration code was passed by the Parliament last year itself. It is important in all the provisions of these bills that companies with less than 300 employees can remove their employees more easily.

These two steps have served to brighten the tarnished image of this government in terms of reforms. This has also raised the expectations of people looking for large-scale reforms. The issues related to labor and agriculture have been the most complicated, but seeing the readiness of this government to improve in both these areas, it is easy to predict that more reforms are going to happen. It can also be concluded from this that Prime Minister Modi is finally fulfilling his promises of development and employment generation.

The promises of leaders and babus and the laws brought with good intentions also do not have much meaning. The important thing is that how are they implemented at the ground level? After all, any law is enforced through a large force of officers, inspectors, tax officials, and often the police force which is levied on extortion.


वाकई में सुधार ला रही है केंद्र की मोदी सरकार?


अच्छे कानूनों से भी ज्यादा अहमियत इन्हें जमीन पर लागू करने की है।

नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों की मंशा से लाए गए तीनों विधेयकों को संसद से पारित करा लिया है। इनमें से एक विधेयक अनुबंध कृषि को कानूनी दर्जा देता है तो दूसरा विधेयक कृषि उत्पादों के मुक्त व्यापार को संभव बनाता है। यह 1991 के बाद का सबसे बड़ा ‘सुधारवादी’ कदम भी होगा।

पिछले दिनों में एक अन्य बड़ा सुधार पुराने श्रम कानूनों का उन्मूलन है। संसद ने अभी तक देश में लागू 29 श्रम कानूनों को चार समूहों-पारिश्रमिक, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और कामकाज के हालात में वर्गीकृत करने वाले तीन विधेयकों को मंजूरी दे दी है। पारिश्रमिक संहिता को तो संसद ने पिछले साल ही पारित कर दिया था। इन विधेयकों के तमाम प्रावधानों में यह अहम है कि 300 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियां कहीं अधिक आसानी से अपने कर्मचारियों को नौकरी से हटा सकती हैं।

इन दो कदमों ने सुधारों के मामले में इस सरकार की धूमिल होती छवि को चमकाने का काम किया है। इससे बड़े पैमाने पर सुधारों की आस लगाने वाले लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं। श्रम एवं कृषि से जुड़े मामले सबसे ज्यादा पेचीदा रहे हैं लेकिन इन दोनों क्षेत्रों में सुधार की इस सरकार की तत्परता को देखकर यह अनुमान लगाना आसान है कि अभी और सुधार होने वाले हैं। इससे यह नतीजा भी निकाला जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी आखिरकार विकास एवं रोजगार सृजन के अपने वादों पर खरा उतर रहे हैं।

नेताओं एवं बाबुओं के वादों और अच्छी मंशा से लाए गए कानूनों का भी खास मतलब नहीं होता है। अहम बात यह है कि जमीनी स्तर पर इनका क्रियान्वयन किस तरह होगा है? आखिर कोई भी कानून अफसरों, निरीक्षकों, कर अधिकारियों और अक्सर उगाही पर उतारू पुलिस बल की भारी-भरकम फौज के जरिये ही लागू किया जाता है।