For the first time in the current financial year 2021-22, India is going to export goods worth $ 400 billion. The Ministry of Commerce and Industry has already started preparing to take the export of goods to $ 500 in the coming financial year 2022-23.

At present, more than 60 percent of the country’s exports are done from few states like Gujarat, Maharashtra, Tamil Nadu, Andhra Pradesh. Many states like Bihar have a negligible share in the country’s exports. With the increase in export of goods, there will be increase in manufacturing, which will increase employment.

The Ministry of Commerce and Industry has started the initiative to start exports from all districts through One District One Product (ODOP), but due to lack of adequate funds, this work has not progressed as expected. Many special products are found in many small towns, which have full scope for export, but this is not possible due to lack of facilities.

The major measures for export promotion would be to reduce the cost of exports. Cost reduction can be done mainly by providing logistic facility. Exporters can be given some concession on the basis of export per container. Incentives can be given to farmers for cultivation in cluster form to increase exports of agricultural products. Other incentives for Remission of Duties and Taxes on Export Products (Road Tape) have already been announced.

Initiatives can also be taken by the government in the direction of maintaining the supply chain through e-commerce. Currently, exports can start from small towns or even rural areas due to the increase in exports through e-commerce to an extent. There is a need to further enhance the competitiveness of export linked manufacturing.


छोटे शहरों को निर्यात हब बनाने की तैयारी


चालू वित्त वर्ष 2021-22 में पहली बार भारत 400 अरब डालर के वस्तुओं का निर्यात करने जा रहा है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय आगामी वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तुओं के निर्यात को 500 डालर तक ले जाने की तैयारी में अभी से जुट गया है।

अभी गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश जैसे गिने-चुने राज्यों से देश का 60 प्रतिशत से अधिक निर्यात किया जाता है। बिहार जैसे कई राज्यों के देश के निर्यात में नगण्य हिस्सेदारी है। वस्तुओं का निर्यात बढ़ने से मैन्यूफैक्चरिंग में बढ़ोत्तरी होगी जिससे रोजगार बढ़ेगा।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने वन (एक) डिस्ट्रिक्ट वन (एक) प्रोडक्ट (ODOP) के माध्यम से सभी जिलों से निर्यात शुरू करने की पहल शुरू तो कर दी है, लेकिन पर्याप्त फंड के अभाव में इस काम में उम्मीद के मुताबिक तेजी नहीं आई है। कई छोटे-छोटे शहरों में कई खास उत्पाद पाए जाते हैं जिनके निर्यात की पूरी गुंजाइश होती है, लेकिन सुविधा के अभाव में यह संभव नहीं हो पाता हैं।

निर्यात प्रोत्साहन के लिए प्रमुख उपाय निर्यात की लागत को कम करना होगा। मुख्य रूप से लॉजिस्टिक सुविधा प्रदान करके लागत में कमी की जा सकती है। प्रति कंटेनर निर्यात के हिसाब से निर्यातकों को कुछ रियायत दी जा सकती है कृषि उत्पादों के निर्यातों को बढ़ाने के लिए क्लस्टर के रूप में खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जा सकती है। अन्य इंसेंटिव के लिए रेमिशन ऑफ ड्यूटीज एंड टैक्सेज ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (रोडटेप) की घोषणा पहले ही हो चुकी है।

ई-कामर्स के माध्यम से सप्लाई चेन को दुरुस्त रखने की दिशा में भी सरकार की तरफ से पहल की जा सकती है। अभी एक सीमा तक ही ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात बढ़ने से छोटे-छोटे शहर या ग्रामीण इलाके से भी निर्यात का काम शुरू हो सकता है। निर्यात से जुड़े निर्माण की प्रतिस्पर्धा क्षमता को और बढ़ाने की जरूरत है।