Hon PM Shri Narendra ModiJi has always put direct emphasis on working towards clean & green technologies for India in every industrial sector, and that the entire nation must work towards this endeavour.

With regard to our plywood & panel industries sector too, this applies in a very big way. It is critically important to continue our sincere efforts to make the Indian plywood and panel industry highly competitive, sustainable, and beneficial to society, environment as well as the government – not only in terms of wood growing and sustainable agroforestry, but also in terms of our chemical use, emissions and raw materials that also contribute significantly towards cost reduction, sustainability, economy and carbon footprint.

The Indian Plywood & Panel industries sector is expected to be consuming an average of 15,000 tons of urea formaldehyde resins per day. This is around 45 lakh tons of resin in an average 300-day work year. It works out to a figure of 20 lakh tons of urea per annum.

The recent development of Urea-Free commercial resin technology will go a long way in making Indian plywood and panel industries embrace sustainability, ultra-low emissions and become the most sustainable industry sector worldwide.

The technology has the following techno-commercial advantages:

  • 80% bio-based resin.
  • CARB P2 / JIS F**** / EPA / ULEF compliant by default.
  • End of an estimated use of 2 million tons of Urea per annum.
  • Equivalent government savings in diversions, subsidy bills, and imports.
  • Equivalent reduction in carbon footprint.
  • Equivalent reduction in Nitrogen emissions and toxicity.
  • 1/4th use of formaldehyde.
  • Estimated savings of 325 Kg methanol per ton of Urea-free resin. That’s a whopping savings of around 1.46 million tons of methanol by the sector, per annum.
  • Reduced methanol imports & related carbon footprint.
  • Promising plywood export credentials – low cost, ultra-low emissions, sustainable, clean & green technology.
  • Entire sector could claim serious carbon credits with appropriate auditing & documentation systems.

It is hoped that the industry sector takes advantage of the above benefits well before international competition begins in this technology, which is sure to happen sooner than later.

This is the best possible time for Industry Associations to come together & embrace change in a positive way, for the benefit of entire society and our nation. Jai Hind!


यूरिया-मुक्त रेजिनः सततता, निर्यात प्रमाणपत्र और देश का लाभ


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने हमेशा भारत में स्वच्छ और हरित तकनीकों के प्रति सीधा जोर दिया है, और इस प्रयास में पूरे राष्ट्र को सहयोग करना चाहिए।

हमारे प्लाईवुड और पैनल उद्योग क्षेत्र के संबंध में भी, यह बहुत बड़े पैमाने पर लागू होता है। भारतीय प्लाईवुड और पैनल उद्योग को प्रतिस्पर्धी, सतत तथा समाज, पर्यावरण और सरकार के लिए लाभदायक बनाने के लिए हमारे सच्चे प्रयासों को जारी रखना महत्वपूर्ण है – न केवल लकड़ी उगाने और सतत कृषि वाणिकी के माध्यम से, बल्कि भारी मात्रा में लगने वाले रासायनिक पदार्थों, उत्सर्जन और कच्चे माल के माध्यम से भी जो मूल रूप से लागत कटौती, सततता, अर्थव्यवस्था और कार्बन पिं्रट पर भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

भारतीय प्लाईवुड और पैनल उद्योग क्षेत्र औसतन रोज़ाना 15,000 टन यूरिया फॉर्मलडेहाइड रेजिन का उपयोग करती है। इसका अर्थ है 300 कामकाजी दिनों के औसतन वर्ष में 45 लाख टन रेजिन। यह वर्ष में 20 लाख टन यूरिया का आंकड़ा निकलता है।

यूरिया-मुक्त वाणिज्यिक रेजिन प्रौद्योगिकी के नवीनतम विकास से भारतीय प्लाईवुड और पैनल उद्योग सततता, अल्ट्रा-निम्न उत्सर्जन और विश्व में सबसे सतत उद्योग क्षेत्र बनने की दिशा में बहुत आगे बढ़ेगा।

इस प्रौद्योगिकी के निम्नलिखित तकनीकी-वाणिज्यिक लाभ हैंः

  • 80 प्रतिशत जैविक आधारित रेजिन।
  • चूक रहित CARB P2/JISF ****/EPA/ULEF मान्यता।
  • 2 मिलियन टन यूरिया की वार्षिक वचत।
  • विनिवेश, सब्सिडी बिल और आयात के समकक्ष में सरकारी बचत।
  • कार्बन पिं्रट में समकक्ष कमी।
  • नाइट्रोजन उत्सर्जन और विषाक्तता में समकक्ष कमी।
  • 1/4 फॉर्मल्डिहाइड का उपयोग।
  • प्रति टन यूरिया-मुक्त रेजिन में 325 किलोग्राम मेथेनॉल की अनुमानित वचत। इससे सेक्टर द्वारा सालाना करीब 1.46 मिलियन टन मेथेनॉल की भारी बचत होगी।
  • मेथानॉल का कम आयात और संबंधित कार्बन पिं्रट में कमी।
  • भरोसे दार भारतीय प्लाईवुड निर्यात प्रमाणण – कम लागत, अल्ट्रा-निम्न उत्सर्जन, सतत, स्वच्छ और हरित तकनीक।
  • उचित मंचन और प्रलेखन प्रणालियों के साथ सम्पूर्ण सेक्टर गंभीर कार्बन क्रेडिट का दावा कर सकता है।

आशा की जाती है कि उद्योग क्षेत्र इस तकनीक में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा शुरू होने से पहले ही जो जल्द ही होना सुनिश्चित है। उपरोक्त लाभों का उपयोग शुरू करेगा।

औद्योगिक समूह और मंचो को एक साथ मिलकर परिवर्तन को सकारात्मक तरीके से अपनाने के लिए यह सबसे उचित समय है, संपूर्ण समाज और हमारे देश के लाभ के लिए। जय हिंद!