Adopting any standard may seem difficult initially - Sourabh Tiwari

क्या आईएसआई सभी निर्माताओं के लिए जरूरी है?

नहीं, अभी नहीं। अभी इसमें वक्त है। गजट में अधिसुचित करने की तारीख से ‘मिडीयम एवं लार्ज‘ उद्योगों के लिए छह माह, एमएसएमई में ‘‘स्माल‘‘ उद्योगों के लिए नौ माह और MSME में माइक्रो के लिए बारह माह का समय निर्धारित है।

बीआइएस लाइसेंस अभी उद्योगपतियों की स्वैच्छिक इच्छा पर है। हम यह अनुरोध कर रहे हैं कि आईएसआई लाइसेंस लीजिए, यदि कोई दूसरा इस आईएसआई मार्क की नकल करेगा तो हम इसके खिलाफ सुचना मिलने पर कार्यवाही करेंगे। लेकिन जिसने लाइसेंस ही नहीं लिया तो उसके खिलाफ किसी कार्यवाही का प्रावधान अभी नहीं है। क्योंकि लाइसेंस अभी अनिवार्य नहीं हुआ है।

जब कोई निर्माता लाइसेंस के बिना आईएसआई मार्क लगाता है, या फिर एक निर्माता के पास जो आईएसआई नंबर है, लेकिन कोई दूसरा फर्जी तरीके से उसके लाइसेंस की मार्किंग कर रहा है, वहां बीआईएस की भूमिका शुरू होती है। कुछ निर्माताओं को गुणवत्ता के मानक पर आपत्ति है, लेकिन जो अपने ब्रांड की उन्नति चाहते हैं वह मानकों की अनिवार्यता को लेकर उत्साहित हैं।

आयातित या देशी कच्चे माल पर भी क्या आईएसआई लाइसेंस लागू होगा?

कच्चे माल में हमारी कोई प्रतिबंधात्मक भूमिका नहीं होती है। बीएसआई तैयार माल की गुणवत्ता की बात करता है। इसलिए कच्चे माल पर लाइसेंस का अभी कोई सवाल नहीं है। हम अंतिम उत्पाद की बात करते हैं। उसकी गुणवत्ता के जो भी तय मानक है, हम उसे सुनिश्चित करने के लिए काम करते हैं।

जहां तक कच्चे माल की गुणवत्ता की बात है तो कोई भी उत्पाद तभी गुणवत्तापूर्ण होगा, जब इसमें कच्चा माल भी अच्छी गुणवत्ता का प्रयोग किया जाए। यह ध्यान रखना तो उत्पादक की जिम्मेदारी है। यदि कभी कच्चा माल भी आईएसआई के दायरे में आएगा तब कच्चा माल भी आप वहां से लेंगे जिसके पास आईएसआई लाइसेंस है।

प्लाइवुड निर्माताओं को आशंका है कि लाइसेंस लेने के बाद सारा माल ही तय मानकों के अनुरूप तैयार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, लेकिन प्लाईवुड व दूसरे उत्पाद में यह थोड़ा मुश्किल है।

निर्माताओं की यह आशंका पूरी तौर पर सही नहीं है। यदि प्लाईवुड उत्पादन में गुणवत्ता से नीचे का माल भी तैयार होता है तो इसके भी मानक तय होने चाहिए। इसके लिए प्लाईवुड संचालकों को आगे आकर अपनी बात रखनी होगी। कि ऐसा करना क्यों जरूरी है। इसके लिए यह सुझाव भी दे कि इस तरह के माल के लिए क्या मानक होने चाहिए। बीआईएस की तकनीकी समिति जिसमें विशेशज्ञों के अलावा उपभोक्ता और उत्पादक के प्रतिनिधि भी शामिल होते है, एक निश्चित अंतराल में बैठक करती है। इस विशय पर विचार कर यह तकनीकी समिति इसमें बदलाव भी कर सकते हैं। हमारे लिए उपभोक्ता जरूरी है तो उत्पाद भी जरूरी है। उत्पादकों का काम आसान हो, लेकिन साथ ही उपभोक्ता को सही गुणवत्ता मिले।

लाइसेंस की आखिर जरूरत है ही क्यों?

अब वक्त आ गया कि उपभोक्ताओं को उत्पाद की गुणवत्ता, सुरक्षा और विश्वसनीयता प्रदान किया जाए। इसके लिए भारत सरकार के निर्देशन में बीआईएस प्रयास कर रहा है। हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा प्लाईवुड, बोर्ड, पैनल और इस तरह के उत्पादक स्वयं आगे आकर लाइसेंस लें। लाइसेंस लेने में कोई दिक्कत नहीं है। हर उद्योग चाहता है कि वह ब्रांड की तरह बाजार में नजर आए। यह कैसे संभव होगा? जब एक निश्चित मापदंड होगा, उस पर खरा उतरने वाला उत्पाद ही तो ब्रांड बन पाएगा। जब बाजार में उपभोक्ता ऐसे माल को तवज्जो देगा तो जाहिर है, निर्माता को ऐसा ही उत्पाद तैयार करना होगा।

उद्योगपति अपनी बात रख सकें, क्या ऐसा मंच है?

उद्योगपति को अपनी बात रखने के लिए बीआईएस में कई विकल्प है। वह हमारी वेबसाइट पर अपनी बात रख सकते हैं। इसके साथ ही हमने बाट्सएप ग्रूप भी बनाया है, यहां भी उद्योगपति अपनी बात रख सकते हैं। इसके अलावा यदि उन्हें कोई समस्या आती है तो वह सीधे विभाग से बातचीत कर सकते हैं। हम चाहते हैं कि उद्योगपति आगे आकर अपनी बात रखे।

नेपाल व वियतनाम से जो प्लाई आयात होती हैं, क्या उन पर गुणवत्ता के मानक लागू होंगे?

अभी तो आयात होने वाले माल को लेकर अभी ऐसी कोई रोक नहीं है। मार्केट में अभी यदि कोई आयातित उत्पाद बिना आईएसआई मार्क के बेच रहा है तो इसमें हमें कोई दिक्कत नहीं है। वह बेच सकता है। लेकिन जिस दिन लाइसेंस अनिवार्य हो गया तो सभी घरेलु और आयातित तैयार माल पर यह प्रावधान लागू हो जाएगा। तब आयात से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि माल उसी से लिया जाए जिसके पास BIS का लाइसेंस है। क्योंकि यह सरकार ने तय किया है। जो माल भारत में आ रहा है, वह हमारे बाजार और देशवासियों के लिए हैं। इसलिए जब लाइसेंस अनिवार्य हो जाएगा तब विदेश के उस उत्पादक से ही माल खरीद कर भारतीय बाजार में ला सकते हैं, जिसके पास BIS लाइसेंस है। विश्व में कोई भी उत्पादक जिसने भारत में माल बेचना है, बीआईएस लायसेंस ले सकता है।

जो कच्चा माल बच जाता है, उससे क्या दोबारा उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं

इस तरह के उत्पाद के लिए गुणवत्ता का कोई मानक या कोई नीति बने यह तभी संभव होगा। मगर इसके लिए उद्योगपतियों को आगे आना होगा। कागज में भी रीसायकल पेपर तैयार होता है। इसी तरह की सुविधा प्लाईवुड में मिल सकती है, यदि उपभोक्ता इसे स्वीकार करता है। लेकिन उसे आईएसआई मार्क लगा कर नहीं बेचना चाहिए। गुणवत्ता के मानक हम सब मिल कर बनाते हैं। इस तरह के उत्पाद तैयार करने से पहले इसकी गुणवत्ता के मानक भी तय हो जाना चाहिए।

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