गैर-पारिवारिक व्यवसायों में, पूंजी का आवंटन आम तौर पर डेटा और व्यावसायिक कौशल के आधार पर निर्धारित किया जाता है। लेकिन पारिवारिक व्यवसायों में, प्रक्रिया शायद ही कभी इतनी सीधी होती है। क्योंकि इसमें पारिवारिक दायित्वों के साथ व्यावसायिक लक्ष्यों को हासिल करना पड़ता है। इसके साथ ही जीवन स्तर और जीवनशैली की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के अलावा, व्यक्तिगत आकांक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। पारिवारिक व्यवसाय में, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि सभी पूंजी आवंटन से अधिकतम लाभ कमाया जा सके।

पूंजी आवंटन के वक्त कई बार परिवार का कोई सदस्य अपने प्रोजेक्ट को लेकर ज्यादा उत्साहित रहते हैं। कोई सदस्य अपने अहंकार की वजह से अपनी बात पर अड़ जाता है। कई बार कोई सदस्य घाटे में चल रहे व्यवसाय को इसलिए आगे जारी रखने पर जोर देते हैं, क्योंकि वह इससे भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। इस तरह के कारक निर्णय लेने वाले के अचेतन मन को प्रभावित करते हैं। इस हालात में वह कई बार व्यापार की जरूरतों से परे चले जाते हैं। हालांकि इस तरह के पहलुओं पर बातचीत नहीं होती। फिर भी ऐसे कारक कई तरह से प्रभावित करते हैं।

तेजी से तरक्की और विकास की चाह या फिर ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश निवेश के निर्णयों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। खासकर जब व्यवसाय का मालिक निर्णय भी स्वयं लेता हो। अब क्योंकि उनके पास निर्णय लेने का अधिकार है, या वह इस स्थिति में होते हैं कि उनके आगे कोई बोल नहीं सकता, तब वह चीजों का गहनता से विश्लेषण किए बिना ही वित्तीय निर्णय ले सकते हैं। इस तरह के निर्णय परिवार के अन्य सदस्यों पर थोप दिए जाते हैं। इस स्थिति में परिवार के बाकी सदस्य व्यापार में निष्पक्ष तरीके से सहयोग नहीं कर पाते। ऐसे में पूरे परिवार की सफलता पर व्यक्ति विशेष की सफलता या सोच हावी हो जाती है। इससे व्यवसाय का विकास भी प्रभावित होता है।

सफल संस्थापकों को व्यवसाय की गहरी समझ के कारण व्यवसाय की मूल भावना के साथ काम करने की क्षमता होती है। उन्होंने व्यवसाय संचालन की हर जटिलता से पार पाने की कला में महारत हासिल कर ली होती है। इसलिए विकास और विविधीकरण के संबंध में उनके निर्णय हमेशा जमीनी स्तर पर होते हैं। हालाँकि, जैसे-जैसे पीढ़ियाँ आगे बढ़ती हैं, और धन, पद, शक्ति और राजनीति चलन में आती है, व्यवसाय में परिस्थितियां तेजी से बदलती है।

विभिन्न स्त्रोतों से उपलब्ध डाटा और सूचनाओं में कई बार महत्वपूर्ण असावधानी और चूक होने का खतरा रहता है। इसलिए प्रभावी पूंजी आवंटन और विकास के लिए व्यावसायिक कौशल के लिए मैक्रो- और माइक्रो- दोनों स्तर पर जुड़ाव होना चाहिए। जिसका अभाव विकास को प्रभावित कर सकता है।

यह कैसे संभव होगा? व्यापार का मुखिया को कैसे पूंजी का आवंटन करना है, यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। सबसे अच्छी नीति तो यह होती है कि वह परिवार के व्यवसाय के उद्देश्य को लेकर आम सहमति बनाए। तब इससे पूंजी के आवंटन का एक निश्चित उद्देश्य सामने आता है। यह शुरुआत का वह बिंदु है, जो आगे चल कर न सिर्फ चीजों को आसान कर सकता है, बल्कि सभी सदस्यों को एक साथ मिल कर चलने के प्रति प्रेरित भी कर सकता है।

यह पूर तरह से पारदर्शी, स्पष्ट उद्देश्य, और स्टीक रणनीति पर आधारित होना चाहिए। पारिवारिक व्यवसाय को पीढ़ियों तक कायम रखने की चाहत रखने वाले सभी को सरंक्षण देते हुए लंबे समय की योजना बना कर निवेश करते हैं। हर कीमत पर स्वामित्व नियंत्रण बरकरार रखते हुए भी विकास को संतुलित किया जा सकता है।

व्यवसाय में एक ऐसा भी समय आता है, जब विविधीकरण की आवश्यकता होती है। तब नए उद्यमों के लिए संसाधनों का बहुत सोच समझ कर आवंटन करना जरूरी हो जाता है।

कुछ पारिवारिक व्यवसायों में, यह देखना आम है कि पूंजी आवंटन निर्णय परिवार के कुछ सदस्यों की व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरा करने और संबंधों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए किए जाते हैं। ऐसी स्थिति में निष्पक्ष प्रक्रिया का सहारा लेना अनिवार्य हो जाता है।

व्यावसायिक परिवारों के लिए आवश्यक पूंजी आवंटित करके, सावधानीपूर्वक योजना बनाकर और पर्याप्त धनराशि जुटा करके पीढ़ियों के बीच बढ़ती जीवनशैली की जरूरतों को पूरा करना अनिवार्य है। इस सभी के लिए एक ऐसा मजबूत सिस्टम भी बनाना चाहिए जो चीजों को नियंत्रण में रखे।

निगरानी सिस्टम का ढांचा बड़े पारिवारिक व्यवसाय में चीजों को नियंत्रण में करने के लिए एक ढांचा बनाया जा सकता है, जबकि छोटे व्यवसाय में इस तरह के कदम उठाना थोड़ा मुश्किल होता है।ऐसे में उन्हें सीखना चाहिए कि जब उन्हें प्रबंधन की जिम्मेदाी मिली है, तो उन्हें हर स्थिति से निपटन की कला विकसित करनी होगी। जब वे व्यवसाय प्रबंधक के निर्णय लेते हैं तो यह समझना चाहिए कि व्यवसाय के लिए क्या सही है। जब वे पारिवारिक निर्णय लेते हैं तो उनकी प्रमुखता में परिवार होना चाहिए। जब वह शेयरधारक की भूमिका में होते हैं।

तो व्यापार और परिवार दोनों की जरूरतों को पूरा करते हुए एक संतुलन साधना होगा। जब परिवार के सदस्य स्वयं को पूंजी आवंटन प्रक्रिया में संलग्न करते हैं, तो वे निष्पक्षता खो सकते हैं। यही कारण है कि उन्हें निष्पक्षता स्थापित करने के लिए स्वतंत्र पेशेवरों की मदद लेनी चाहिए।

क्योंकि सफलता, डेटा-संचालित विश्लेषण और सहज समझ - तर्क के बीच संतुलन साधना ही है।

Harsh M. and T. Dixit