भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति बनाने और बैंकों को विनियमित करने की दोहरी भूमिका निभाता है। अब आरबीआई अपने 90 वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। यह वह मौका है, जब हमें आरबीआई के 90 वर्षों के सफर का जायजा लेना चाहिए।

रिजर्व बैंक ने यंग कमीशन की सिफारिशों के आधार पर 1 अप्रैल 1935 को अपना कामकाज शुरू किया था।

सर ओसबोर्न स्मिथ रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर थे। उनका कार्यकाल 1 अप्रैल 1935 से 30 जून 1937 के बीच रहा। 1926 में वह इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजिंग गवर्नर के रूप में भारत आए थे। आरबीआई अन्य तमाम केंद्रीय बैंकों से अलग एक फुल सर्विस केंद्रीय बैंक है।

शुरू में आरबीआई ने कृषि क्षेत्र में वित्तीय सहायता देने पर ध्यान केंद्रित किया। लेकिन बाद में समय के साथ साथ आरबीआई के कामकाज का क्षेत्र बढ़ता चला गया। विकास को रफ्तार देने के लिए वित्त के बेहतर करने के तरीके पर काम किया।

आरबीआई ने देश के वित्तीय बुनियादी ढांचे को विकसित करने का काम किया। इसमें बीमा, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक जैसे कई संस्थानों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। साल 1991 में आर्थिक उदारीकरण शुरू होने के साथ ही आरबीआई का ध्यान मुख्य तौर पर मौद्रिक नीति, बैंकों के पर्यवेक्षण एवं विनियमन, भुगतान प्रणाली की देखरेख और वित्तीय बाजारों के विकास में केंद्रीय बैंकिंग कार्य पर केंद्रित हो गया।

प्रमुख तथ्य

बर्मा (म्यांमार) 1937 में भारत संघ से अलग हो गया, मगर आरबीआई ने बर्मा पर जापानी कब्जे तक और बाद में अप्रैल 1947 तक बर्मा के केंद्रीय बैंक के रूप में काम करना जारी रखा।

भारत के विभाजन के बाद आरबीआई ने जून 1948 तक यानी स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का परिचालन शुरू होने तक पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के रूप में कार्य किया।

भारतीय सिविल सेवा के सदस्य सर बेनेगल रामा राव ने अगस्त 1949 से जनवरी 1957 के बीच सबसे लंबे समय तक आरबीआई के गवर्नर के तौर पर अपनी सेवाएं दी।

मनमोहन सिंह 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक आरबीआई के गवर्नर रहे और वह देश के वित्त मंत्री एवं प्रधानमंत्री (2004 से 2014) भी बने।

उर्जित पटेल आरबीआई के 25 वें गवर्नर थे, वह ऐसे पहले गवर्नर थे, जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया।

शक्तिकांत दास आरबीआई के 25वें गवर्नर हैं। वह इस साल दिसंबर में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने के बाद सर बेनेगल रामा राव के बाद सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गवर्नर बन जाएंगे।