Tushar Virsodiya

कोरोना से सीखने को मिला: मेट्रो सिटीज से अलग भीअच्छी खासी सेल की संभावना है


लोग यदि चाइना से इंपोर्ट कम कर देते हैं तो बहुत बढ़िया हो सकता है। हालांकि ऐसा लग रहा है कि यह शत प्रतिशत बंद तो नहीं होगा। क्योंकि वहां से काफी इंपोर्ट होता है। इसलिए एंटी डंपिंग ड्यूटी आदि लगा कर इसे कुछ कम किया जा सकता है। थोड़े समय के लिए इंपोर्ट यदि रूक जाता है तो इसका लाभ मिल सकता है। क्योंकि इस वक्त आम आदमी का माइंडसेट है कि वह देशी उत्पाद को अपनाए। इसलिए बस एंटी डंपिंग ड्यूटी बढ़ा देनी चाहिए। कोरोना काल में आए हालात से उद्योगपति कैसे निपट सकते हैं। क्या होना चाहिए। इसी सोच के चलते, प्लाई इनसाइट टॉक टू इंडस्ट्रियलिस्ट कार्यक्रम चला रहा है। इसी क्रम में इस बार श्री तुषार विरसोदिया से हुई वार्तालाप के अंश…

अभी क्या स्थिति है?

अभी मार्केट से रिस्पांस नहीं मिल रहा है। इस वक्त अनिश्चितता की स्थिति है। हमारे यहां पहले कोरोना नहीं था, लेकिन अब केस सामने आ रहे हैं। इस वजह से अब यहां दिक्कत आ रही है। इस वक्त यहीं बोला जा सकता है कि स्थिति अनिश्चितता वाली है।

मजदूरों की स्थिति क्या है?

लॉकडाउन वन व लॉकडाउन टू में प्रवासी मजदूर इधर से उधर हुए हैं। इस वजह से कई जगह संक्रमण भी फैल गया है। यहां उद्योग का हब है, इसलिए बड़ी संख्या में मजदूर इधर से उधर होते हैं। इसके साथ ही प्रोफेशनल स्टाफ भी इधर से उधर हो गया है। अब क्योंकि उद्योग चलाना है ,तो जाहिर है लोगों का आना जाना रहेगा ही। पहले सोच रहे थे कि डिजिटलाइजेशन पर सब कुछ चलेगा, लेकिन हम इसके प्रति इतनी जल्दी, ज्यादा फ्रैंडली नहीं हो सके हैं। यह हमारी सामाजिक जरुरत भी है। हालांकि वायरस ने दूर रहने के लिए मजबूर कर दिया है।

अगले दो-तीन माह 50 प्रतिशत उत्पादन और सेल कर लें तो क्या सर्वाइवल है?

हां ऐसा बोला जा सकता है। इसे अच्छी स्थिति कही जा सकती है। क्योंकि अभी बरसात का सीजन भी है। यहां बहुत सारे उद्योगपति अभी भी इंतजार कर रहे है। जिनके पास स्टॉक है, वह यदि इसे खत्म कर लें तो वह भी यहीं माना जाएगा कि अच्छी स्थिति है। इस वक्त नोट बंदी की तरह का माहौल लग रहा है। बस इसका माइनस प्वाइंट यह है कि भुगतान की स्थिति कमजोर है।

जो माहौल देश में बन रहा है, इससे इंपोर्ट पर क्या असर पड़ेगा ?

निश्चित ही इस वक्त इस दिशा में काम किया जा सकता है। क्योंकि चीन का माल सस्ता पड़ता है, इसलिए खरीददार वहां के माल को खरीदने के प्रति उत्साहित रहते हैं। यदि एंटी डंपिंग ड्यूटी बढ़ा दी जाए तो इस दिशा में बहुत कारगर साबित हो सकता है। इसके लिए बस पहल करनी होगी। एक बार यदि माहौल बन गया तो हम आत्मनिर्भर हो सकते हैं। बस इसके लिए सरकार की नीति स्पष्ट होनी चाहिए। यह संभव है। हमारे पास टैलेंट की कमी नहीं है। अगर सरकार ने एक बार ठान लिया कि आत्मनिर्भर करके रहेंगे तो निश्चित ही हो जाएगा। इसके लिए बस वक्त लग सकता है। इसके लिए पांच या दस साल लंबी योजना बनानी होगी।

तो इसके लिए क्या होना चाहिए?

चीन मूल्य के मोर्चे पर भारत से प्रतिस्पर्धा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाएं।

स्टैप वाइज स्टैप काम करना होगा,क्योंकि एक दम से सब कुछ नहीं होता। हमें आत्मनिर्भर बनने के लिए तैयारी करनी होगी। पार्टिकल बोर्ड तो हम बना ही सकते हैं। मशीन बाद में बना लेंगे। इसके लिए हमें धीरे धीरे तैयारी करनी होगी।

अभी कहां पर काम हो रहा है

अभी सेल तो है, लेकिन मुंबई जैसे बड़े शहरों में डिमांड नहीं निकल पा रही है। बल्कि सेमी अर्बन इलाकों से मिल रही है। प्रोजेक्ट में भी डिमांड आ रही है। जब भी मार्केट डाउन होती है, तो सरकारी ढांचागत विकास करना होता है। इसके लिए सरकार फंड देती है। तभी हालात सामान्य होते हैं। इस बार भी ऐसा हो रहा है।

मैट्रो सिटी से डिमांड नहीं आ रही है। लेकिन टू व थ्री टायर सिटी से डिमांड आ रही है। जो पहले सेल के लिए टारगेट पर नहीं था। कोरोना से सीखने को मिला कि यहां भी सेल की अच्छी संभावना है।

तो आगे क्या स्थिति हो सकती है ?

दिसंबर तक तो उत्पादन कम ही रहने की संभावना है। इसलिए हमें अभी से आने वाले चैलेंज के लिए तैयार रहना होगा। लेकिन यह उम्मीद की जानी चाहिए कि इसके बाद समय ठीक होगा। क्योंकि यदि तब भी हालात में बदलाव नहीं आया, तो सभी को दिक्कत आ सकती है। उद्योगपति और सरकार सभी मिल कर बेहतर के लिए काम कर रहे हैं। अब देखना यह है कि कोरोना से जितनी जल्दी रिकवर कर लेंगे, उतनी ही जल्दी मार्केट में स्थिरता आएगी। क्योंकि कोरोना के खत्म होने के बाद ही स्थिति सामान्य होगी।

जब सब कुछ सामान्य लगने लगता है, ठीक उसी समय किसी नई जगह पर बाधा उत्पन्न हो जाती है। अब ऐसा लगता है कि हमें इस तरह की बाधाओं का सामना बार बार करना पड़ेगा।

अब यह चैलेंज है कि हम संक्रमण के साथ इस तरह से तालमेल बिठाएं कि आसानी से काम कर सके। क्योंकि अब यह सब काफी थकाऊ लगने लगा है।