Manoj Gwari

अनिवार्य बीआईएस मानकों पर उद्योगपतियों की चिंता को आप किस तरह से देखते हैं?

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) वास्तव में भारतीय बाजार में किसी भी उत्पाद के गुणवत्ता मानकों को तय करते हैं। जैसा की हम जानते हैं, कि काष्ठ उद्योग में भी अब बीआईएस, सभी लागू होने वाले भारतीय मानकों का अनिवार्य रूप से परिपालन सुनिश्चित करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। जिस तरह से मानकों को लेकर अब सरकार सजग हो रही है, इस तरह से पहले कभी नहीं हुआ। मेरे अनुमान से इसके पीछे सरकार की मंशा कहीं न कहीं, होने वाले आयात पर लगाम लगाना और हमारे देश के उत्पादकों को बढ़ावा देना है. यद्यपि मूल रूप से यह एक सराहनीय कदम है, किन्तु, हमारे वुड बेस्ड इंडस्ट्रीज के लिए एक चिंता का विषय भी है। क्योंकि अभी भी भारतीय वुड बेस्ड इंडस्ट्रीज बहुतायत में लघु उद्योग के रूप में ही कार्य कर रही है और सभी प्रकार के स्पेसिफिकेशन को अपनी यूनिट में लागू करने के संसाधन जुटाने में इन्हें समय लगेगा। जबकि सरकार द्वारा दिए गए नोटिफिकेशन के हिसाब से यह अनुपालन फरवरी/मई 2024 तक करना आवश्यक है।

कुछ ऐसे उत्पाद है, जिनके मानक अभी तय ही नहीं है?

वेस्ट रिसाईक्लींग को लेकर निश्चित ही मानकों पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। हमारे यहाँ सभी प्रकार के उत्पाद बनाने के लिए एग्रो बेस्ड लकड़ी का ही इस्तेमाल होता है और विभिन्न लकड़ी की गुणवत्ता और ग्रेडिंग के हिसाब से अलग अलग प्रकार के उत्पाद बनाये जाते है। इन उत्पादों के बनाने के दौरान संसाधनों के भरपूर उपयोग की अवधारणा को दिमाग में रखते हुए, उद्योग शेष बचे माल से भी विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाती है जो अभी भी भारतीय मानक में दर्ज नहीं हैं। यह एक चिंता का विषय है। क्योंकि जब उपलब्ध मानक को हम अपने यहाँ पूर्णतया लागु करेंगे तो इस प्रकार के उत्पाद हम अपने उद्योग में नहीं बना पाएंगे।

इसके लिए क्या किया जा सकता हैं?

इस विषय को प्लाईवुड एसोसिएशन द्वारा भारतीय मानक ब्यूरो के सामने रखना चाहिए और सभी प्रकार के उत्पाद को उपलब्ध मानक में जुडवाना चाहिए। इंडस्ट्री और CED मेम्बेर्स के अनुमोदन के पश्चात भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा वर्ष 2023 में दरवाजे का आईएस 2202 (Part 1) का नया संस्करण अब उपलब्ध है। जिसमे दरवाजा जो मूल रूप से BWP रेजीन से बनता था, अब MR ग्रेड को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। लेकिन दरवाजे के अन्य उप-उत्पादों का इसमें कोई जिक्र नहीं है। यही स्थिति ब्लॉक बोर्ड की है, जिसके उप-उत्पादों का BIS के मानकों में जिक्र नहीं है। किसी भी उत्पाद के मानकों में अतिरिक्त बदलाव के लिए उद्योग को अपनी बात को BIS-CED की बैठक में रखना होगा। इसके बाद ही समाधान की दिशा तय होगी।

BIS -CED की बैठक कब होती है, इसमें कौन लोग शामिल होते हैं?

भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा इस प्रकार की समस्याओं से निपटने के लिए और उद्योग से तालमेल करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। वुड बेस्ड इंडस्ट्रीज क्योकि सिविल इंजीनियरिंग का विषय है अतः सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (सीईडी) का गठन किया गया है, जिसकी CED - 20 कमेटी में लगभग सभी प्रकार केवुड प्रोडक्ट आते हैं। इस कमेटी में बी आई एस, वुड रिसर्च इंस्टिट्यूट, CPWD, वुड एसोसिएशन और इंडस्ट्रीज से जुड़े करीब 35 सदस्य होते हैं. साधारणतया वर्ष में एक बार इस कमेटी की मीटिंग होती है, जिसमे स्टैण्डर्ड से जुड़े सभी प्रकार के विषयों को उठाया जाता है। वर्ष भर में ट्रेड में हुए बदलावों को भी इसमें विचार के लिए प्रस्तुत किया जाता है, ताकि स्पेसिफिकेशन में समय समय पर बदलाव कर उद्योग और मानकों के बीच सामंजस्य बैठाया जा सके।

बैठक की तिथि, स्थान और एजेंडा पूर्व में ही सुनिश्चित कर लिया जाता है और सभी सदस्यों को इसके बारे में जानकारी, उपलब्ध माध्यमों द्वारा भेज दी जाती है, ताकि अधिक से अधिक सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। बैठक में प्रस्तुत प्रस्तावों पर हर सदस्य अपना विचार दे सकता है। जिस प्रस्ताव पर सर्वसम्मति होती है,उसे बीआईएस द्वारा अमल में लाने की दिशा निर्धारित की जाती है।

उद्योग को भी इस बारे में जानकारी दी जाती है। दिक्कत यह है कि उद्योग द्वारा इस कार्यप्रणाली की ओर किसी कारणवश ध्यान नहीं दिया जाता है, अथवा अपनी पुरजोर उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाता है। कमेटी में उद्योगपतियों की संख्या कम होना भी शायद इसका एक कारण है, जबकि दूसरे क्षेत्रों के विशेषज्ञ इसमें अधिक शामिल हैं। देखा गया है कि बैठक में कई बार या तो उद्योग शामिल ही नहीं हो पाते हैं, या अपनी ओर से कोई सुझाव नहीं देते। यदि उद्योगपतियों की ओर से समय समय पर सुझाव आते रहें, तो, निश्चित ही बीआईएस उनके सुझाव के आधार पर ही आगे की रणनीति तय करने को बाध्य होगा।

बीआईएस के मानक इतने ज्यादा कठोर या पुरानें हैं कि चाह कर भी उद्योगपति इसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं?

बीआईएस का उद्देश्य है कि उद्योगपतियों को साथ लेकर उत्पाद के मानक तय किए जाए। बीआईएस के मानक उद्योगपतियों से सलाह कर तैयार किए जाते हैं। लेकिन उद्योगपतियों को भी आगे आ कर अपनी दिक्कतों को बीआईएस के अधिकारियों के साथ साझा करना पड़ेगा तभी हर समस्या का समाधान हो सकता है।

बीआईएस ने जांच का काम निजी एजेंसी को सौंप रखा है?

बीआईएस ने कुछ समय पूर्व ही देश की कुछ जानी मानी कंपनियों के अपनी इंस्पेक्शन विंग में शामिल किया है। मुख्यतया इनका काम भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा अनुमोदित अथवा लाइसेंस प्राप्त कंपनियों में, ब्यूरो के आदेश प्राप्त होने की स्थिति में, वार्षिक या अर्धवार्षिक इंस्पेक्शन करने का अधिकार होता है। सभी इंस्पेक्शन में प्रोडक्ट स्टैण्डर्ड के अनुपालन को सुनिश्चित किया जाता है। किसी प्रकार की गलती होने की स्थिति में BIS द्वारा, कंपनी को एक निश्चित समय में कमियों को दूर करने का अवसर भी दिया जाता है। यद्यपि यह एक सामान्य प्रक्रिया ही है, लेकिन बी आई एस रूल-एक्ट की जानकारी और प्रोडक्ट स्टैण्डर्ड की जानकारी का अभाव, कभी-कभी यह प्रक्रिया उद्योगपतियों के लिए कष्टप्रद और असुविधाजनक हो जाती है। इससे बचने के लिए उद्योगपतियों को एक सुपात्र क्वालिटी कण्ट्रोल इंचार्ज (QCI) की नियुक्ति करनी चाहिए, जो स्टैण्डर्ड में समय समय पर हुए बदलावों को अपने यहाँ लागू करवा सके और सभी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करे.

विशेषज्ञ सलाहकार की सेवा लेने का उद्योपगतियों को क्या फायदा?

यदि कोई उद्योगपति विशेषज्ञ (QCI) सलाहकार की सेवाएँ लेता है, तो, उनका काम अत्यधिक सुगम हो जाता है। क्योंकि दक्ष सलाहकार बीआईएस की सारी औपचारिकता पूरी कर सकता है। वह समय समय पर उद्योग को BIS की नवीनतम औपचारिकताओं से अवगत करा कर उद्योग की टीम के साथ मिलकर उसे लागू करवाने में सहयोग कर सकता है।

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