‘‘व्यवसायिक जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा अकेले और अलग-अलग सीखते हुए ही गंवा देते है। किसी न किसी वजह से शोध संस्थानों के साथ उद्यमियों का तालमेल बहुत कम है।‘‘



इस अंक में सालिड उड उद्योग को बचाने के लिए सीजनिंग कितना महत्वपूर्ण है इसे नवल केडीया, रजनीश त्यागी, और प्लाई इन्साईट की विवेचना से जानें।

पंजाब में कृषि वाणिकी को नकद फसल गेहू/धान के बराबर प्रोत्साहित करने के लिए कुछ सिफारिशें की गई हैं। इसमें शुरूआती समस्या को समझने की कोशिस की गयी है। जिस पर उद्योग को भी गंभीर पूर्वक ध्यान देना चाहिए।

इस रिपोर्ट के अनुसार:-

‘‘किसानों की एक मुख्य चिंता यह है कि पेड़ की फसल की कटाई की 5-7 साल की दीर्घ अवधि होती है, जिससे नकदी की आवश्यकता में रूकावट पैदा होती है। वार्षिक फसलों के उलट, कृषि वाणिकी के प्रारंभिक वर्षों में निरंतर कमाई नहीं हो सकती है। बीच में बोई जाने वाली फसल कुछ आय प्रदान कर सकती है, लेकिन किसानों को आगामी वर्षों में सीमित या कोई आमदनी नहीं होती है, जिससे अनिश्चितता उत्पन्न होती है।‘‘

‘‘कृषि वाणिकी क्षेत्र में दीर्घ अवधि चक्र और पौधों के बोने की आदत के कारण बड़ी मूल्य परिवर्तन शीलता रहती है। 2014 में लकड़ी की अतिरिक्त आपूर्ति के कारण मूल्यों में गिरावट आई थी। इसके परिणाम स्वरूप, कई किसानों ने पेड़ बोना बंद/कम कर दिया, जिससे मांग में वृद्धि हुई। इस तरह की कीमत परिवर्तन शीलता किसानों के आत्म-विश्वास को कम करती है और वे कृषि वाणिकी में अपने संसाधनों और प्रयासों का निवेश करने में हिचकिचाते हैं। इस अनिश्चित पैदावार परीके से लकड़ी आधारित उद्योगों के लिए भी अस्पष्टता होती है।‘‘

बिहार सरकार ने इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखते हुए ‘‘बिहार लकड़ी आधारित उद्योग निवेश प्रोत्साहन नीति 2020‘‘ की घोषणा की है। इसमें नए उद्योग लगाने और पुराने उद्योगों में प्रौद्योगिकी उन्नति के लिए सब्सीडी का प्रावधान किया गया है।

इसमें उल्लेख किया गया है:-

‘‘किसानों को उनके खेतों पर अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहन मिलने के लिए महत्वपूर्ण है कि उन्हें उनकी पेड़-फसल-लकड़ी का बेहतर मूल्य मिले। इसको पूरा करने के लिए मांग ओर आपूर्ति में खिचाव देने के द्वारा ही संभव है, जिसमें वुड आधारित उद्योग को कुशल और एकीकृत बनाया जाए जो सुविधाजनक मूल्य पर पेड़-फसल को खरीदता है, और किसानों को उनके खेतों पर पेड़ का पौध बढ़ाने और सुरक्षित रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।‘‘

इन्हीं मुद्दों पर ICFRE-Wincoin की पहली बैठक में भी महत्वपूर्ण चर्चा हुई। उद्योग को IWST, जिसमें अब IPIRTI का विलय हो चुका है, में शामिल होकर शोध कार्यों में रूचि लेनी चाहिए। और अपनी प्रौद्योगिकी की उन्नति में IWST और FRI का सहयोग लेना चाहिए।

यहां पर रजनीश त्यागी का एक उद्धरण बहुत महत्वपूर्ण है:-

‘‘व्यवसायिक जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा अकेले और अलग-अलग सीखते हुए ही गंवा देते है। किसी न किसी वजह से शोध संस्थानों के साथ उद्यमियों का तालमेल बहुत कम है।‘‘

सुरेश बाहेती
9050800888

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