गरीब और सामाजिक आर्थिक तौर पर पिछड़े हुए अति गरीब परिवारों के खर्च करने की क्षमता बढ़ रही है। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) 2022-23 से यह तथ्य पता चली है। भारत के सबसे गरीब परिवारों में पिछले दशक में बेहतर परिवारों की तुलना में अपने प्रति व्यक्ति खर्च में तेजी से वृद्धि देखी है।

एचसीईएस के उपभोक्ता व्यय सर्वे 2011-12 की तुलना में इस बार के सर्वे से यह भी पता चला है कि इस तब के लोग गैर जरूरी चीजों पर भी खर्च कर रहे हैं। इससे पता चल रहा है कि देश में गरीबी कम हो रही है।

इस वर्ग के सामाजिक कल्याण की योजनाओं को सही से लागू किया जा रहा है। परिणामस्वरूप इस तबके को अमीर परिवारों की तुलना में ऐसी योजनाओं से अधिक लाभ मिल रहा है।

सर्वेक्षण के नतीजे मुद्रास्फीति, गरीबी और विकास अनुमानों की गणना का आधार बनेंगे। इसके आधार पर अन्य नीतिगत निर्णय और लक्ष्य को निर्धारित करने में मदद मिलेगी। सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक प्रति व्यक्ति खर्च शहरी मासिक व्यय की तुलना में तेजी से बढ़ा है।

विभिन्न आय श्रेणियों के बीच खर्च असमानता भी कम हो गई है। 2011-12 और 2022-23 के बीच औसत ग्रामीण खर्च 2.64 गुना बढ़ गया, शहरी क्षेत्रों में, आर्थिक रूप से कमजोर 50 प्रतिशत परिवारों के खर्च में 2.77 गुना वृद्धि देखी गई।

विश्लेषण से पता चला कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों का खर्च बाकियों की तुलना में तेजी से बढ़ा है।

इसी तरह, शहरी क्षेत्रों में नियमित वेतन भोगी श्रमिकों की तुलना में आकस्मिक मजदूरों और स्व-रोजगार वाले लोगों के खर्च करने की क्षमता भी बढ़ रही है।