कोविड के दो साल में विश्व की तरक्की थम सी गई। रही सही कसर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उथल पुथल भरे दो सालों ने पूरी कर दी। इस सब के बीच भारत एक मरू उद्यान की तरह 2024 में विकास की नई ऊंचाई छूने का प्रयास कर रहा है। इसकी चार बड़ी वजह है।

बढ़ती मांगः हमारे युवा रोजगार के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी आय बढ़ रही है। इस वजह से घरेलू मांग भी बढे़गी। जाहिर है, सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होगी। निर्यात में जो कमी आ रही थी, घरेलू मांग बढ़ने से इसकी भी भरपाई होना संभव होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मांग न सिर्फ 2024 के शुरुआत में बनी रहेगी, बल्कि यह लंबे समय तक बनी रह सकती है। लेकिन इसके साथ ही दो बातों का ध्यान रखना होगा।

आरबीआई ने इस पर अपना ध्यान केंद्रित रखा है, यह सुखद है।

मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पहली तो यह है कि मुद्रास्फीति (जब मांग और आपूर्ति में असंतुलन पैदा होता है तो वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। कीमतों में इस वृद्धि को मुद्रास्फीति कहते हैं) अच्छी तरह से नियंत्रित होनी चाहिए। अर्थव्यवस्था में तेजी में रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर व्यवस्थित तरीके से पैदा होने चाहिए। जिससे युवा कामगारों के वृद्ध होने से पहले भारत अमीर बन जाए।

जोखिम कम करते हुए उपलब्धता सुनिश्चित करनाः उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करना बैंक ऋण के लिए एक सुखद परिस्थिति है। जिसमें अक्टूबर 2023 में सालाना 18 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई और पिछले 12 महीनों में यह वृद्धि बनी हुई है। जिससे ऋण प्रवाह का लगभग दो-तिहाई हिस्सा रहा।

घरेलू स्तर पर उधार की बढ़ती रफ्तार खतरनाक है। जिन क्षेत्रों में आश्चर्यजनक तरीके से कर्ज की रफ्तार बढ़ी है, इस पर नियंत्रण करने के लिए अभी कुछ कदम जरूर उठाए गए। जिससे त्रण प्रवाह कम किया जा सके। स्थाई और टिकाऊ विकास के लिए नियमित निरीक्षण व्यवस्था जोखिम को कम कर सकती है। इससे भविष्य में संपत्तियों को बेचने की नौबत आने से भी बचा जा सकता है।

मजबूत वित्तीय क्षेत्र घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त फंड करने की स्थिति में हैं। क्योंकि बैंक लाभ की स्थिति में तो ह़ै ही इसके साथ बैंकों के पास पूंजी की स्थिति भी एक दशक में सबसे ऊंचे स्तर पर है। हाल के सालों में भारत सरकार ने, कई, प्रमुख मंत्रालयों में बजट को बढ़ाया है। इससे निजी क्षेत्र में तेजी से निवेश में भी मदद मिली है।

उद्योगपतियों के बढ़ रहे आर्डर से इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। सरकार और निजी क्षेत्र दोनों ही जगह बढ़ रहा निवेश उत्साहजनक स्थिति की ओर इशारा कर रहा है।

पिछले सालों की तुलना में अब इस निवेश का तरीका बदल रहा है। इससे प्रदूषण मुक्त उद्योगों में महत्वपूर्ण निवेश की उम्मीद है। इससे जहां उद्योगों का विकास होगा, वहीं पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने की ओर एक मजबूत कदम भी साबित होंगे।

प्रजातन्त्रःहालांकि आम चुनाव 2024 की आदर्श आचार संहिता और चुनाव के दौरान आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार में थोड़ी कमी आ सकती है। उसके बाद पूंजीगत व्यय की गति में तेजी आनी चाहिए।

2024 की पहली छमाही में चुनाव निस्संदेह हावी रहेंगे। फिर भी उम्मीद की जानी चाहिए कि 2024 की दूसरी छमाही में पूंजीगत व्यय की गति तेजी से बढ़ेगी।