Asean Ply, Mahabir Aggarwal

बाजार की स्थिति को किस तरह से देखते हैं?

बाजार में इस वक्त प्लाईवुड की कीमतें को लेकर बहुत असमंजस है। जिस कीमत पर माल मांगा जा रहा है, उस कीमत पर उत्पादन लागत को नियंत्रित रखना हमारे लिए संभव हो नहीं रहा। आयात होने वाले सस्ते प्लाईवुड की वजह से हमारे उपर भी कीमत कम करने का दवाब है। लेकिन हमारे उत्पादन लागत पर भाड़ा और जीएसटी और दस प्रतिशत कमिशन के साथ मार्जिन निकालना मुश्किल हो रहा है। नेपाल से कम गुणवत्ता के प्लाईवुड की वजह में बाजार में यह स्थिति बनी हुई है।

सबसे ज्यादा दिक्कत उच्च गुणवत्ता का उत्पाद बनाने वाले मध्यम उद्योगपतियों को आ रही है। चुंकि डीलर को ज्यादा मार्जन की चाहत होती है, ऐसे में हमारे उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है। कीमत का अंतर कम हो जाने की वजह से उपभोक्ता ब्रॉडेंड प्लाईवुड को तवज्जो देते हैं। हमारे सामने समस्या यह है कि हम अपने स्थापित गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहते, परिणाम यह है कि हमारा मुकाबला बड़े स्थापित ब्रांड से हो रहा है। जहां हम स्थापित हैं, वहां भी परिस्थितियाँ कठिन हो रही हैं।

बीआईएस लागू हो जाए तो क्या समस्या का हल हो सकता है?

निश्चीत ही इससे कुछ तो फर्क पड़ेगा। कम से कम बीआईएस को बाजार में जांच तो करनी ही चाहिए। कई जगह बीआईएस मार्के का फर्जी तरीके से इस्तेमाल हो रहा है। इसे रोकने की दिशा में विभाग अपनी ओर से कुछ नहीं कर पा रहा है। विभाग उपभोक्ता की शिकायतों पर निर्भर है, जो साधारण नहीं किए जाते।

अभी यदि बीआईएस लाइसेंस का नवीनीकरण कराया जाए तो इसमें एक से दो माह का समय लग जाता है, जबकि अभी शायद 25 प्रतिशत उत्पादकों के पास ही लाइसेंस है। इस काम में निजी एजेंसियों को शामिल तो किया गया है। लेकिन नये लाइसेंस प्रदान करने और फर्जी आई एस आई लगे उत्पादों पर निगरानी करने में तेजी लानी होगी।

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बीआईएस अनिवार्य होने पर क्या असर हो सकता है?

बीआईएस या जांच करने वाली एजेंसी इकाई में तैयार माल की जांच करती है। वियतनाम से आने वाला माल जरूर बीआईएस मानक लागू होने से रूक सकता है। लेकिन नेपाल का बॉर्डर खुला होने की वजह से वहां से चोरी छुपे माल भारत में आ भी सकता है। इसे रोकने के लिए भी सख्त कदम उठाने होंगे।

विदेशी उत्पादक भी लाइसेंस लेने की कोशिस कर रहें है

अभी तक तो नये संशोधित बीआईएस मानक ही प्रकाशित नहीं हुए। मानक लागू होने से विदेशी और घरेलु उत्पाद की गुणवत्ता एक जैसी होगी, तो मार्केटिंग में सभी का स्तर एक जैसा हो जाएगा। फिर आप अपने व्यक्तिगत दम-खम का उचित प्रदर्शन कर सकते है।

बीआईएस लाइसेंस धारकों को अभी कोई दिक्कत तो नहीं आ रही है ?

सामान्यतः कोई दिक्कत नहीं आ रही है। लेकिन लाइसेंस फीस ज्यादा है। मान लीजिए किसी के पास चार लाइसेंस है, तो हर तीन माह में एक से डेढ़ लाख रुपए प्रति लाइसेंस खर्च है।

छोटे उत्पादकों पर एक दम से सख्ती करना भी तो संभव नहीं है?

ऐसे छोटे से छोटे उत्पादको को भी एक इकाई स्थापित करने में कम से कम एक से दो करोड़ रुपए खर्च तो आ ही जाता है। जब वह इतना खर्च करने में सक्षम है तो फिर जीएसटी उगाहने और गुणवत्ता मानक मानने में दिक्कत क्या है? यह बात तो तर्क संगत नजर नहीं आती है। इस तर्क की आड़ में छोटे इकाई संचालक पूरी व्यवस्था को बिगाड़ रहे हैं। इसमें से ज्यादातर न तो जी एस टी की पालना करते हैं, न ही गुणवत्ता मानकों का पालन करते हैं। बस उनका एक ही उद्देश्य है, कर चोरी करते हुए कम से कम उत्पादन लागत में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना।

जीएसटी को लेकर आपकी राय क्या है?

जीएसटी को यदि सख्ती से लागू कर दिया जाए तो सरकार का रेवेन्यू तो बढ़ ही जाएगा, हमें भी इसका लाभ होगा। अभी भी बड़ी संख्या में अनाप शनाप फर्जी बिल काटे जा रहे हैं। जिसका असर सही बिलिंग पर काम करने वाले उत्पादकों पर पड़ता है। जीएसटी में भी इंस्पेक्टरी राज आ रहा है। जिसे रोका जाना चाहिए।

तो इन समस्याओं का समाधान क्या देखते हैं?

सबसे पहले तो जीएसटी को सही तरह से और सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। हमारे जैसे मध्यम श्रेणी के उत्पादकों को इससे एक बराबरी के मंच पर काम करने की सुविधा मिलेगी। सरकार के पास भी ज्यादा राजस्व आएगा।

बीआईएस मानकों को लागु करने की कार्यवाही में भी तेजी लायी जानी चाहिए। क्योंकि यदि गुणवत्ता मानक तय होंगे तो गुणवत्ता से समझौता करने वाले उत्पादक खुद ब खुद मार्केट से बाहर हो जाएंगे।

इसका सकारात्मक पहलु यह भी है कि, उद्योग में ट्रेड़िग मानसिकता के बदले दुरगमी सोच वाली औद्योगिक मानसिकता भी आएगी। जिससे उद्योग कच्चे माल की कमी और इस तरह की अन्य दुरगामी समस्याओं पर संगठित होकर निवेश कर पाएंगे।


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