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आयात से स्थानीय प्लाईवुड उद्योग खासतौर पर केरल में क्या प्रभाव पड़ रहा है?

आयातित प्लाईवुड के दाम इतने कम है कि हम बाजार में मुकाबला नहीं कर सकते हैं। स्थिति यह है कि कुछ निर्माता तो ऐसे हो गए, जो अब अपनी फैक्टरी में उत्पाद तैयार करने के बजाय आयातित प्लाईवुड की ही मार्केटिंग कर रहे हैं। यह स्थिति बहुत ही निराशाजनक है।

आयात को तो रोका नहीं जा सकता

सरकार ने ‘मेक इन इंडिया‘ कार्यक्रम चलाया। स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ही यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। लेकिन आयात से मेक इन इंडिया कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहा है। नेपाल से उत्तरी भारत में सस्ता माल आ रहा है। वहीं केरल में वियतनाम से माल आ रहा है। वैश्विक परिस्थितायों की वजह से थोड़ा आयात कम हुआ है। इस वजह से बाजार में स्थिति थोड़ी सुधरी है।

बीआईएस लागू होने से क्या आयात थम सकता है?

निश्चित ही। क्योंकि आयात होने वाले उत्पाद को भी बीआईएस की ओर से तय मानकों के अनुरूप गुणवत्ता रखनी होगी। उनकी गुणवत्ता यदि हमारे बराबर हो जाए तो हम उनका आसानी से मुकाबला कर सकते हैं। क्योंकि वर्त्तमान में आयतित माल की गुणवत्ता कमतर है और इसलिए शायद सस्ता भी।

फिर भी प्रश्न यह है कि बी आई एस विदेशी उत्पादकों को लायसेंस जारी करने से कब तक रोक लगा सकता है। घरेलु, उत्पादकों के संरक्षण के लिए इस पर पूरी तरह से रोक लगना चाहिए। क्योंकि साल दो साल से इसमें कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।

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अनिवार्य बीआईएस लागू करने की समयसीमा बढ़ा दी गई है,

यह ठीक नहीं हुआ। बीआईएस तुरंत ही लागू कर दिया जाना चाहिए था। इसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे स्थानीय उद्योग पऱ पड़ेगा। इसके साथ ही आयात होने वाले माल की गुणवत्ता से समझौता नहीं होना चाहिए। इस तरह के प्रावधान से ही हम अपने लकड़ी उद्योग को बचा सकते हैं।

दिक्कत तो यह भी है कि केरल की अधिकतर यूनिटें बीआईएस लाइसेंस के दायरें से बाहर हैं

यह सच है, यहां 90 प्रतिशत यूनिटें QCO लाइसेंस के तहत आती ही नहीं। इस बारे में एसोसिएशन स्तर पर उद्योगपतियों को समझाया जा रहा है कि बीआईएस के तहत आने पर हमें क्या लाभ होने वाला है। इसके सकारात्मक परिणाम भी दिख रहें हैं। लोग बी आई एस की प्रक्रिया को समझने की कोशिस भी कर रहें हैं। हालांकि अब फब्व् को एक साल के लिए बिलंबित कर दिया गया है, सभी का जोश ठंडा हो जाएगा ऐसा लगता है।

जागरूकता लाने की दिशा में क्या काम होना चाहिए

ऐसे उद्योगपतियों को समझाने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। क्योंकि जब गुणवत्ता मानक तय हो जाएंगे और हम स्वयं उच्च गुणवत्ता का माल तैयार करेंगे, तो आयात होने वाले माल पर स्वतः रोक लगेगी।

हम सभी ने बहुत ही मेहनत व पैसा खर्च कर यूनिट खड़ी की है। इसे बचाए रखना हम सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए। अब हम इस स्थिति में हैं कि गुणवत्ता युक्त माल तैयार कर सकते हैं।


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