बाजार का सिस्टम कई चीजों पर निर्भर होता है। इस सिस्टम में प्रतिस्पर्धा, नीति, कानूनी और आर्थिक कारण निहित है। वार्षिक बजट अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धी की दर का आंकलन करने का बेहतर जरिया हो सकता है।

जिस बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धा होगी, उसकी अर्थव्यवस्था उतनी ज्यादा मजबूत भी होगी। चूंकि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, भारतीय बजट इसकी आर्थिक आकांक्षाओं को दर्शाता है। जिसमंन स्पष्ट दिशा, वित्तीय प्रबंधन, दक्षता व समावेशिता में तालमेल बिठाते हुए प्रतिस्पर्धा की भावना को मजबूत करने के सभी मानदंड शामिल है।

विकास पर ध्यानः अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के लिए माहौल तैयार किया जा रहा है, जिसमें सरकार ऐसी आर्थिक नीतियां अपनाएगी जो विकास को निरंतर बढ़ावा देने वाली हो। उत्पादकता में सुधार करते हुए, सभी के लिए अवसर पैदा करने की कोशिस है जिसमें उन्हें अपनी क्षमता बढ़ाने में मदद मिलें। क्षमताएं, और निवेश को मजबूत करने और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संसाधनों में योगदान करते हैं। सभी के लिए अवसरों और क्षमताओं को बढ़ाते हुए प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता में सहायता पर जोर दिया गया है।

चुनावों से परे नजरः लोकलुभावन वादों से दूर है। इसकी जगह क्षमताओं के निर्माण और बाजार अर्थव्यवस्था में समान अवसर के उपलब्ध कराने की ओर ध्यान दिया गया है। बाजार लगातार उपभोक्ताओं की मांग के अनुरूप बना रहे, प्रतिस्पर्धा कानून का यह प्राथमिक उद्देश्य है। बजट का लक्ष्य आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करना है। जिसमें जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता की भावना के साथ सभी के लिए व्यापक विकास सुनिश्चित हो। जो देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए प्रेरित करे।

छोटा (एम एस एम ई) सुंदर हैः पिछले बजट में एमएसएमई पर ध्यान दिया गया था। इस बार ऐसा वातावरण तैयार करने की कोशिश की गई,जिसमें एमएसएमई का तेजी से विकास हो। एमएसएमई से नई नौकरियों के अवसर पैदा होते हैं। जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है। नियमित आपूर्ति को बढ़ावा मिलता है। किसी भी देश की आर्थिक मजबुती का आंकलन करने के लिए एमएसएमई की आर्थिक स्थिति और विकास के साथ बाजार में आ रहे नए उत्पाद बहुत सटीक बैरोमीटर हो सकते हैं।

डिजिटल मंडीः मंडिया का रखरखाव राज्य करते हैं। यहां कृषि उत्पाद एपीएमसी कानूनों के तहत खरीदे व बेचे जाते हैं। इस सिस्टम में ग्राहक व विक्रेता सीमित होते हैं। लेकिन ई-एनएएम पोर्टल अब पारंपरिक मंडियों के कामकाज को पूरी तरह से बदल रहा है। इसमें जहां लेनदेन पूरी तरह से पारदर्शी होता है, वहीं दूर दराज के खरीददार भी आसानी से खरीद में शामिल हो सकते हैं। 2016 में इसकी शुरुआत के बाद से, ई-एनएएम के तहत 1,361 मंडियों को शामिल किया गया है। इस पोर्टल से छोटे किसान को सीमित बाजार से छुटकारा मिल गया है। उनके पास खुला बाजार है। जिससे उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य मिलना संभव हो रहा है। ई-एनएएम का लक्ष्य देश के सभी कृषि बाजारों को एनएएम पोर्टल के माध्यम से एकीकृत करना है।

मजबूती के पिछले तीन सालों में इस बात को लेकर विचार किया गया है कि कैसे नीतिगत और अकादमिक निर्णयों व नीतियों से निर्माण क्षेत्र को बढ़ाया जाए। इस अवधि में हालांकि मोबाइल बनाने के शुरुआती परिणाम उत्साहजनक रहे हैं, फिर भी हम अभी भी विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता पहेली को हल नहीं कर पा रहे हैं।